अल्ज़ाइमर्स डिजीज :रिस्क फेक्टर्स ?
बेशक बढती बुढापे की ओरले जाती उम्र इसकी इक बड़ी ज्ञात वजह है इसीलिए इसे ओल्ड एज डिमेंशिया भी कह दिया जाता है .बेशक यह रोग बुढ़ाने की सामान्य प्रक्रिया का इक अंग नहीं है लेकिन जोखिम ज़रूर उम्र के साथ साथ बढ़ता चला जाता है .६५ के पार तो हर पांच साला के बाद ये जोखिम दोगुना होता जाता है .८५ से ऊपर के आधे बुजुर्ग अल्ज़ाइमर्स ग्रस्त हैं .
कुछ लोगों को विरल आनुवंशिक बदलावों की वजह से उम्र के चालीसे के पेटे में आने ओर पचासा होने पर ही अल्ज़ाइमर्स रोग के लक्षणों से दो चार होना पड़ता है .
ये लोग कुछ परिवारों से ताल्लुक रखतें हैं जिनमे कुछ चुनिन्दा जीवन इकाइयों में म्यूटेशन देखें गएँ हैं लेकिन रोग उन लोगों में भी प्रकट होता है आगे चलकर ही सही जिनमे ऐसे कोई उत्परिवर्तन दिखलाई नहीं देतें हैं ।
फेमिली हिस्ट्री एंड जेनेटिक्स :आपके लिए अल्ज़ाइमर्स रोग का ख़तरा तब बढजाता है जब आपका कोई फस्ट डिग्री रिश्तेदार मसलन माँ -बाप ,भाई बहिन या बच्चा इस रोग की चपेट में आया हो .
साइंसदानों ने कुल जमा तीन जीवन इकाइयों में ख़ासलेकिन विरल म्युतेसंस को रेखांकित किया है जिनकी मौजूदगी व्यक्ति को लाजिमी तौर पर इस रोग की चपेट में आगे चलकर ले आती है .लेकिन ऐसे कुल ५%से भी कम ही लोग हैं .।
लेकिन कुछ परिवारों में यह किस विध किस मिकेनिज्म से जगह बनाए हुए है इसका खुलासा नहीं हो सका है
बहरसूरत सबसे ज्यादा कुसूरवार इक जीवन इकाई "अपा -लिपो -प्रोटीन -ई ४ "को माना जारहा है इस रोग के लिए ।
कुछ अन्य जोखिम से भरी (रिस्क जींस )की शिनाख्त ज़रूर हुई है लेकिन पुख्ता तौर पर इनकी पुष्टि नहीं हो चुकी है इस रोग के सन्दर्भ में ।
सेक्स :महिलाओं में इसके होने की संभावना ज्यादा रहती है मर्दों के बरक्स ,इसकी आंशिक वजह इनका जीवन सौपान (लोंगेविटी,उम्र )मर्दों से औसतन ज्यादा होना है ।
लाइफ स्टाइल एंड हार्ट हेल्थ :
बेशक जीवन शैली से जुड़ा कोई भी घटक रोग के खतरे को अंतिम तौर पर घटाने वाला साबित नहीं हुआ है लेकिन फिर भी तमाम वही वजहें जो हृद रोगों के खतरे के वजन को बढ़ाती हैं अल्ज़ाइमर्स रोग के खतरे को भी बढा सकतीं हैं कुछ अध्ययनों से ऐसी ध्वनी ज़रूर आई है .इन वजहों में प्रमुख हैं :
(१)व्यायाम का अभाव ।
(२)स्मोकिंग (धूम्रपान )।
(३)हाई ब्लड प्रेशर
(४)हाई -कोलेस्ट्रोल .
(५)बे काबू या फिर गए बीते ढंग से (पूअरली कंट्रोल्ड )नियंत्रित डायबिटीज़ .
ये ही तमाम वजहें हैं -जिनका सम्बन्ध वैस्क्युलर डिमेंशिया से भी जोड़ा जाता रहा है जिसमे दिमागी ब्लड वेसिल्स नष्ट हो जातीं हैं नतीज़नकोगनिटिव डिक्लाइन भी देखने को मिलता है ।
कई लोगों में जो बोध सम्बन्धी जानकारी जुटाने में कमी महसूस करतें हैं ,कोगनिटिव डिमेंशिया के लक्षण जिनमे देखे जातें हैं उनके दिमाग में वैसे ही बदलाव भी देखे गएँ हैं जो दोनों ही रोगों के लिए एकसमान हैं .दोनों ही कंडीशन एक दूसरे को बढ़ावा देतीं हैं .
इसलिए दिल की हिफाज़त दिमाग की हिफाज़त यानी डिमेंशिया से भी कमोबेश जुडी हुई है जीवन शैली को सुधारिए .डिमेंशिया का जोखिम भी कम होगा ।
(ज़ारी...).
मंगलवार, 19 अप्रैल 2011
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