मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

कौज़िज़ ऑफ़ अल्ज़ैमार्स डिजीज .

अल्ज़ाइमर्स रोग के कारण :
साइंसदानों के मुताबिक़ अल्ज़ाइमर्स रोग की वजह आनुवंशिक ,पर्यावरण से जुड़े तथा जीवन शैली से जुड़ेएक नहीं अनेक कारण बनतें हैं.ये तमाम कारण मिलकर असरग्रस्त मरीज़ के दिमाग को प्रभावित करते हैं ।
५%से भी कम मामलों में अल्ज़ाइमर्स रोग की वजह आनुवंशिक वजहें (कुछ ख़ास जींस के म्युटेसंस ,जीवन इकाइयों में होने वाले उत्परिवर्तन बनतें हैं ।).
बेशक इसके कारणों का ठीक ठीक पता न हो लेकिन दिमाग में होने वाले परिवर्तन एक दम से स्पष्ट हो चुकें हैं ।
अल्ज़ाइमर्स रोग दिमागी कोशिकाओं को नष्ट कर उनकी मौत की वजह बनता है ।
रोग ग्रस्त व्यक्ति के दिमाग में कुल कोशाओं की तादाद भी कम तथा जीवित बची कोशिकाओं में कनेक्संस भी कम रह जातें हैं इक नीरोगी ब्रेन की बनिस्पत ।
जैसे जैसे ज्यादा और ज्यादा कोशिकाओं की मौत होती जाती है बीमारी की वजह से वैसे ही वैसे दिमाग का आकार भी सिकुड़ कर छोटा होने लगता है ।
अल्ज़ाइमर्स ब्रेन टिस्यूको एग्जामिन करने पर न्युरोलोजिस्तों को दो प्रकार के परिवर्तन साफ़ पता चलतें हैं .ये दोनों ही असामान्यताएँ (एब नोर्मेलेतीज़ )रोग के ख़ास संकेत हैं ।
(१)प्लाक्स :प्लाक्स बीटा-अम्य्लोइड के गुच्छे होतें हैं ये "प्लाक्स क्लम्प्स ऑफ़ बीटा -अम्य्लोइड प्रोटीन" दिमागी कोशाओं को कई तरीके से मारतें हैं .सेल से सेल संवाद (न्यूरोन -न्यूरोन कम्युनिकेशन ,कनेक्ट होने को तोड़ देतें हैं ये प्रोटीन गुच्छ ).इस प्रोटीन का अ -सामान्य ढंग से होने वाला संश्लेषण अल्ज़ाइमर्स की एकवजह हो सकता है । हालाकि दिमागी कोशाओं की मौत का अंतिम कारण अभी किसी को नहीं मालूम ।
गौर तलब यह भी है कुछ ऑस्ट्रेलियाई अध्ययनों में प्लाक्स को अल्ज़ाइमर्स की वजह नहीं माना गया है साइंसदानों ने एनीमल स्टडीज़ में प्लाक को बनने ही नहीं दिया है या फिर केमिकल्स से पूरी तरह नष्ट कर दिया है लेकिन अल्ज़ाइमर्स के लक्षण फिर भी हाज़िर रहें हैं ।

(२)टेंगिल्स :कुछ फाइबर मॉस का, तंतुओं का परस्पर गुथजाना(ट्विस्ट होकर बल खाना )टेंगिल्स कहाता है ।
दिमागी कोशाओं के पास एक आंतरिक प्रणाली होती है तंत्र होता है सिस्टम होता है कोशिकाएं इसी तंत्र पर निर्भर करती हैं पुष्टिकर तत्वों (न्युत्रियेंट्स )तथा अन्य ज़रूरी पदार्थों के संवहन (ट्रांसपोर्ट के लिए प्रयुक्त साधन ) के लिए .इस तंत्र के सुचारू रूप काम करते रहने के लिए एक प्रोटीन "ताऊ "का प्रकार्य तथा संरचना सामान्य होना ज़रूरी होता है ,इस प्रोटीन के धागे (तंतु )ही परस्पर बेतरह उलझ के रह जातें हैं ,तेंगिल्ड हो जातें हैं जिससे उक्त परिवहन व्यवस्था (ट्रांस -पोर्ट सिस्टम चरमरा जाती है ).इस प्रणाली का यूं ठप पड़ना भी कोशाओं की मौत और उनकी संख्या में आने वाली गिरावट की वजह बनता है अल्ज़ाइमर्स रोग में ।
(ज़ारी...).

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