अल्ज़ाइमर्स डिजीज :कोपिंग एंड सपोर्ट ।
अल्ज़ाइमर्स ग्रस्त व्यक्ति भय ,हताशा ,दुःख ,अनिश्चय और अवसाद से भरे रहतें हैं .भ्रमित रहतें हैं .उन्हें सुनने आश्वश्त करने की अकसर ज़रुरत पड़ती है -सब कुछ अभी ख़त्म नहीं हुआ है जीवन जैसा भी है हर हाल में सुन्दर है एन्जॉय किया जा सकता है ,बारहा चाहिए उन्हें ऐसी तसल्ली और आश्वाशन ।
घर का शांत और सेटिल और सकारात्मक माहौल बहुत बड़ी भूमिका निभासकता है ऐसे में .व्यवहार गत समस्याएं कम हो सकतीं हैं रोगी की ऐसे धनात्मक ऊर्जा -परिवेश में ,हौसला अफजाई से .जीने की आस भीबनी रहती है ।
नै परिश्तिथियाँ ,शोर- शराबा ,लोगो का ज़मघट ,रोगी पर दवाब डालना मुश्किल काम करने चीज़ों को याद रखने के लिए उसकी बे -चैनी,नर्वसनेस और एन्ग्जायती को और भी बढा सकता है ।
रोगी का मिजाज़ बिगड़ जाने पर उसका मूड खराब हो जाने पर सोचने समझने की उसकी क्षमता और भी तेज़ी से घटने लगती है ।
(ज़ारी...).
बुधवार, 20 अप्रैल 2011
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