तीन करोड़ तीस लाख़से लेकर साढ़े तीन करोड़ अमरीकी जीवने के किसी ना किसी मोड़ पर डिप्रेशन से दो चार होतें हैं ,सामना करतें हैं अवसाद का .सभी उम्र के लोगों औरत मर्दों तमाम नस्लों के लोगों को अवसाद असरग्रस्त करता है .हालाकि औरतों को इसका जोखिम ज्यादा रहता है मर्दों से दो गुना ज्यादा डिप्रेशन के एपिसोड्स अध्ययनों के मुताबिक़ औरतों को झेलने पडतें हैं ।
अवसाद कोई किसी की व्यक्ति गत कमीबेशी नहीं है ,न ही इसे होने पर दर किनार कर चुप बैठा जाता है कामयाबी के साथ इसका इलाज़ किया जा सकता है .
अध्ययनों के मुताबिक़ अलबत्ता मेजर डिप्रेशन कुछ परिवारों में चलते देखा जा सकता है .
अवसाद इक आनुवंशिक रोग है या नहीं लेकिन इक बात साफ़ है इस विकार का सम्बन्ध दो दिमागी जैव रसायानों "सेरो -टो -निन"तथा "नोर -एपिने -फ्राइन"के स्तर से जोड़ा जाता रहा है ।
मेजर डिप्रेसिव दिस -ऑर्डर को ही आम तौर पर डिप्रेशन कह दिया जाता है ,जिसका रोग निदान माहिरों द्वारा तभी किया जाता है जब व्यक्ति लगातार कमसे कम इक पखवाड़े (दो सप्ताह )तक किसी भी चीज़ में दिलचस्पी न लेकर अवसाद में गुम रहे .तथा उसमे कमसे कम ४ और लक्षण अवसाद के मौजूद रहें .
किसी भी इक साल में अमरीकी बालिगों का ५-८%मेजर डिप्रेशन से ग्रस्त रहता है .(स्रोत :नेशनल अलाएंस ऑफ़ मेंटल हेल्थ ,मिशिगन )।
(ज़ारी ...)
सोमवार, 18 अप्रैल 2011
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