पहचानिए और भेद करिए सीज़र्स और सीज़र्स में :
दौरे के स्वरूप को पहचान कर ही उसके अनुरूप चिकित्सा हासिल करना बेहतर सिद्ध होता है .एक झलक लेतें हैं इन दौरों की :
(१)पार्शियल सीज़र्स :पार्शियल सीज़र्स बिगिन इन स्पेसिफिक पार्ट्स ऑफ़ दी ब्रेन .दीज़ इन्क्ल्युद -
(अ)सिम्पिल पार्शियल :इसमें चेतना असर ग्रस्त नहीं होती है ,होश नहीं खोता है व्यक्ति सिम्पिल पार्शियल सीज़र में लेकिन इन्द्रिय बोध असर ग्रस्त होता है व्यक्ति को दुर्गन्ध का अनुभव हो सकता है हाथ पैर भी झटक सकता है वह अपने .ही /शी मे प्रोड्यूस मोटर मूवमेंट सच एज जर्किंग ऑफ़ एन आर्म ।
(ब )कोम्प्लेक्स पार्शियल :इनमे व्यक्ति के होशो -हवाश में बदलाव आता है एक भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है .
(स)कोम्प्लेक्स पार्शियल विद सेकेंडरी जन्रेलाइज़ेसन :ऐसे दौरों की शुरुआत तो कोप्म्लेक्स पार्शियल की तरह ही होती है लेकिन ये जन्रेलाइज़्द सीज़र्स में ही तब्दील हो जातें हैं ,दिमाग के दोनों अर्द्ध गोलों को असर ग्रस्त करतें हैं ये ।
विशेष :जन्रेलाइज़्द सीज़र्स अफेक्ट बोथ साइड्स ऑफ़ दी ब्रेन .दीज़ इन्क्ल्युद :
(अ )एब्सेंस :पहले इन दौरोंको पेटिट मॉल कहा जाता था ,इनमे चेतना थोड़ी देर के लिए ही जाती है असर ग्रस्त होती है ,बेहोशी से .बच्चों में अकसर ये सीज़र्स देखने को मिल जातें हैं ।
(आ )अटोनिक:पहले इन्हें "ड्रॉप अटेक"कहा जाता था .इनमे पेशीय नियंत्रण एक दमसे छीज जाता है ,व्यक्ति अकसर गिर जाता है .पेशीय संतुलन नहीं बनाए रख पाता .
(इ )म्योक्लोनिक :ट्रिगर्स सदन जर्किंग इन दी मसल्स ,ओफतिन इन दी आर्म्स एंड लेग्स .हाथ पैर झटके से पटकने लगता है असर ग्रस्त व्यक्ति इन सीज़र्स के असर से ।
(ई )टोनिक -क्लोनिक :पहले व्यक्ति गिरता है खड़े खड़े या चलते फिरते अचानक (टोनिक फेज़ )और फिर और फिर हाथ पैर झटकने पटकने लगता है ।
सीज़र्स और भी हैं :
(उ )फेब्रिले(फेब -राइल)सीज़र्स :तेज़ ज्वर में ये छोटे बच्चों में देखे जा सकतें हैं ,इनका मतलब हमेशा एपिलेप्सी नहीं होता है ।
(ऊ )स्टेटस एपिलेप्तिकस:गंभीर और एक दम से घातक ,बने रहने वाला स्वरूप है यह दौरों का .ये पार्शियल सीज़र्स भी हो सकतें हैं जन्रेलाइज़्द भी ।
(ज़ारी ...).
मंगलवार, 26 अप्रैल 2011
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