जो लोग इस विकार के साथ सालों साल से रहते आरहें हैं उन्हीं पर संपन्न अध्ययनों से इल्म हुआ है क्या कुछ किया जा सकता है सकारात्मक इस व्यक्तित्व विकार के बारे में इन व्यक्तियों के बारे में .स्थिति उतनी निराशाजनक भी नहीं है जितनी मान समझ ली गई थी ।
बरसों से इसे ला -इलाज़ माना जाता रहा है लेकिन आंकड़े बतलातें हैं कमसे कम ५० फ़ीसदी मामलों में सफलता हाथ लगी है पोजिटिव आउट कम रहा है रोग निदान के बाद सही इलाज़ मयस्सर होने पर .खोट व्यक्ति में न था ,रोग कर रहा ,करा रहा था सब कुछ बिना इलाज़ के ।
जैसे- जैसे रोग के बारे में नै जानकारी सामने आरही हैनै वजहें पता चल रहीं हैं नए इलाज़ उभर रहें हैं आउटकम भी लगातार सुधर रहा है प्रोग्नोसिस भी .
(ज़ारी...).
शनिवार, 16 अप्रैल 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें