गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

पार्किन्संज़ डिजीज :एक विहंगावलोकन .

पार्किन्संज़ रोग एक ऐसा विकार है जो कुछ नाड़ियों ,दिमागी कोशाओं को ,न्युरोंस को दिमाग के उस हिस्से में असरग्रस्त करता है जो हिस्सा पेशियों की गति से जुड़ाहै ,गति का संचालन ,नियंत्रण और समन्वयन इसी हिस्से के न्युरोंस करतें हैं ।
ऐसा क्या ख़ास है इन न्युरानों में दिमागी कोशाओं में ?
दिमाग के इसी हिस्से के न्युरोंस एक जैवरसायन "डोपामिन "तैयार करतें हैं जो एक ट्रांस मीटर की तरह काम करता है इसी से प्रसारित सन्देश अंग संचालन से ताल्लुक रखतें हैं ।
इस रोग में यही दिमागी क्वांटम ,दिमागी इकाइयां सेल्स या तो मृत हो जातीं हैं या फिर अपना काम ठीक से नहीं कर पातीं हैं .किसी को नहीं पता इनकी मौत इस रोग में आखिर होती क्यों है ।
आखिर क्या चीज़ है वह जो इन्हें नष्ट कर देती है ।?
पार्किन्संज़ के लक्षणों में आप शुमार कर सकतें हैं :
(१)हाथों (हाथ ,जी हाँ एक हाथ का भी कम्पन हो सकता है दोनों का न होकर ),बाजू ,टांगों ,जबड़ों और चेहरे का कम्पन ।
(२)बाजुओं का अकड़ाव(स्टिफनेस ऑफ़ आर्म्स ),टांगों और ट्रंक (धड )की स्टिफनेस ।
(३)स्लोनेस ऑफ़ मूवमेंट (ब्रेडी -काइनेज़िया,लेक ऑफ़ इनिशिएटिव ऑफ़ मूवमेंट ),कुर्सी पर से उठ न पाना ,खड़े हो गए हैं तो आगे बढ़ने के लिए कदम न उठा पाना ,घिसट के चलना क़दमों को .
(४)संतुलन और समन्वयन का अभाव (खड़े होने चलने में गिरने का ख़तरा )।
ठवन का बिगड़ना आगे की ओर झुकके कमर के बल सहारे से किसी के चलना पैर घसीट के .
जैसे जैसे इस प्रोग्रेसिव डिजीज में जो बद से बदतर होती चली जाती है समय के साथ साथ ओर इसीलिए प्रोग्रेसिव कहाती है ,रोग आगे के चरणों में पहुंचताहै , मरीज़ को चलने फिरने के अलावा बोलने बातचीत करने के अलावा साधारण से साधारण काम करने में भी दिक्कत आने लगती है ।खुद कपडे ना पहन पाना इनमे से एक है .
अवसाद ग्रस्त होने के अलावा नींद में खलल ,करवट लेना मुहाल ,चबाने सटकने में भी दिक्कत आने लगती है ।
रोग की शुरुआत अकसर पचास साल या इससे ऊपर के लोगों में होते देखी जाती है ,लेकिन कुछ ए -टिपिकल मामलों में इसकी शुरुआत जल्दी भी हो सकती है .इन मामलों में रोग एक आनुवंशिक दाय के रूप में चला आता है लेकिन सिर्फ ५%मामले ही ऐसे हो सकतें हैं ।
अलावा इसके औरतों के बरक्स मर्दों में यह ज्यादा दिखलाई देता है ।
(ज़ारी ...).

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