गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

पार्किन्संस्ज़ :विहंगावलोकन (ज़ारी...)

गत पोस्ट से आगे ......
डायग्नोसिस ऑफ़ पार्किन्संज़ :
टिपिकल (लाक्षणिक )मामलों की डायग्नोसिस लक्षणों के आधार पर तो की ही जाती है पुष्टि के लिए न्यूरो -इमेजिंग का भी स्तेमाल किया जाता है ।
रोग के शुरूआती चरण में मोटर सिम्टम्स(गति सम्बन्धी )लक्षणों का कारगर तरीके से इलाज़ "लीवो -डोपा "तथा "डोपामिन एगो -निस्ट्स "जैसे कारगर दवाओं से किया जाता है .
एगोनिस्ट वो दवाएं हैं जो डोपामिन जैसे प्रभावों की हु -बा -हु नक़ल कर लेतीं हैं .दीज़ कैन मिमिक दी एक्शन एंड एक्टिविटीज़ ऑफ़ डोपामिन ।
बेशक जैसे जैसे रोग आगे बढ़ता है दिमाग के ख़ास हिस्सों में (ब्रेन स्टेम )में डोपामिन न्युरोंस की कमीबेशी के साथ ही ये दवाएं इक तरफ अपना असर खोती चली जातीं हैं दूसरी तरफ इनके पार्श्व प्रभाव भी ज़ाहिर होने लगतें हैं जिनमे प्रमुख है -"डिस -काइनेज़िया"जिसमे मरीज़ का पेशियों पर से नियंत्रण हट जाता है लिहाजा इन -वोलंटरी रिदिंग मूवमेंट्स (इन्टरनल ट्विस्टिंग ,रोलिंग ,स्क्विर्मिंग ऑफ़ बॉडी पार्ट्स .).,होने लगतें हैं ।

डाईटके अलावा पुनर्वास चिकित्सा ,म्युज़िक थिरेपी ,ट्रेअद -मिल पे कसरत करना खासे कारगर और लक्षणों में सुधार करने वाले सिद्ध हुएँ हैं ।फिजियो -थिरेपी भी .
रोगके उन चरणों में जब दवाएं बिलकुल असर नहीं करती हैं ,सर्जरी और डीप- ब्रेन स्तिम्यु -लेशन का सहारा लिया जाता है .इससे मोटर सिम्टम्स में सुधार आता है ।
रिसर्च मूव्स इन दी डायरेक्शन ऑफ़ न्यू -एनीमल मोडेल्स ऑफ़ दी डिजीज ,जीन थिरेपी और स्टेम -सेल थिरेपी ,क्या कुछ नहीं कर सकती ,स्टेम -सेल -प्रत्यारोप तथा न्यूरो -प्रो-तेक्तिव एजेंट्स चिकित्सा के नायाब क्षितिज हैं ।
स्लीप डिस्टर -बेन्सिस ,संवेगात्मक परेशानियां (भावजगत का छीजना )बीमारी के ऐसे लक्षण हैं जिनका मूवमेंट से कोई सम्बन्ध नहीं है ,इन -नॉन -मूव्म्नेट -रिलेटिड लक्षणों के लिए भी आधुनिक चिकित्सा तंत्र के पास दवाएं हैं .एक अँगरेज़ डॉ जेम्स पार्किन्सन ने १८१७ में एक निबंध लिखा था जिसका विषय था :"दी शेकिंग पाल्सि".पहले इस रोग को इसी नाम से जाना गया था इसीलिए उनके योगदान को स्मरणीय बनाए रखने के लिए इस न्यूरोन -अप -विकासी रोग को आज "पार्किन्संज़ "कहा जाता है ।
गत ११ अप्रैल को जेम्स पार्किन्संज़ का जन्म दिन था जिसे अब "विश्व -पार्किन्संज़ -दिवस के रूप में मनाया जाता है "-अप्रैल का पूरा महीना इस रोग के बारे में जन -चेतना लाने के लिए समर्पित किया गया है ।
(ज़ारी...).

कोई टिप्पणी नहीं: