आइसो -लेटिद-स्पाज़ -टिसिती:जब स्पाज़ टिसिती केवल एक पेशीय समूह तक ही सीमित रहती है तब माहिर "बोटोक्स "यानी ओना -बोतुलिनम -तोक्सिन ए की सुइयां सीधे सीधे असर ग्रस्त पेशी या फिर नाडी या फिर दोनों में भी लगवाने की सिफारिश कर सकतें हैं ।
इसके अवांछित प्रभाव के कारण असर ग्रस्त व्यक्ति बेहद की कमजोरी महसूस कर सकता है .साँस लेने और कुछ भी सटकने (स्वालोइंग )में भी दिक्कत पेश आ सकती है ।
आपको याद दिलादें -स्पाज़ -टिसिती (स्पाज़ -टिक सेरिब्रल पाल्ज़ी )में विकार ग्रस्त व्यक्ति लिम्ब्स पर नियंत्रण नहीं रख पाता है इसका असर सारे शरीर पर भी पड़ सकता है जिसे क्वाड्री- प्लीजिक स्रेइब्रल पाल्ज़ी कह देतें हैं ,शरीर के केवल एक तरफ (पार्श्व ,साइड )के हिस्से को भी विकार की यह किस्म असर ग्रस्त कर सकती है जिसे हेमी -प्लीजिक सेरिब्रल पाल्ज़ी कह दिया जाता है ,दोनों टांगों पर भी असर हो सकता है उस स्थिति को डाई -प्लीजिक सेरिब्रल पाल्ज़ी के तहत रखा जाता है .
जन्रेलाइज़्द स्पाज्तिसिती :यदि पूरी बॉडी ही असर ग्रस्त होती है (क्वाद्रिप्लीजिक )तब कई मर्तबा "ओरल मसल रिलेक्सेंत"(मुंह से खाने वाली ऐसी गोलियां जो पेशियों की जकड़न को कम करती है ) भी अपना असर -कारी अच्छा और कारगर प्रभाव छोड़तें हैं .स्टिफ और कोंट्रेक्तिद मसल्स को आराम देतें हैं ये मसल- रिलेक्सेंत ।
डायजेपाम (वेलियम ,डायजेपाम इन्तेंसोल ),टीज़ा -नि -डीन (ज़नाफ्लेक्स ),डान -ट्रियम,बक्लोफें आदि इसी वर्ग की दवाएं हैं ।
बेशक दाय्जापाम पर दीर्घावधि सेवन के बाद निर्भरता बढ़ जाती है ,आदत में शुमार होने लगती है इसलिए दीर्घावधि सेवन के लिए इसे तजवीज़ करने से बचा जाता है ।
इसके पार्श्व प्रभावों में उनींदापन ,कमजोरी तथा मुख से लार(सेलाइवा ) निकलती रहती है .
टीज़ा -निडीन के अवांछित प्रभावों में कमजोरी ,स्लीपिनेस ,निम्न रक्त चाप तथा लीवर डेमेज शामिल हैं ।
स्लीपिनेस बाकी दोनों दवाएं भी पैदा कर सकतीं हैं ।
बक्लोफें को सीधे सीधे एक ट्यूब से स्पाइनल कोर्ड (रीढ़ रज्जु )तक भी पहुंचाया जाता है .उदर (एब्दोमन )के नीचे एक पम्प को इम्प्लांट कर दिया जाता ऐसा करने के लिए ही .
(ज़ारी ॥)
अगली पोस्ट में पढ़िए :थिरेपीज़ फॉर सेरिब्रल पाल्ज़ी .
शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011
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