रविवार, 17 अप्रैल 2011

व्हाट कौज़िज़ ओब्सेसिव कम्पल्सिव डिस -आर्डर?(ज़ारी )...)

ओब्सेसिव कम्पल्सिव डिस -आर्डर की वजहें क्या हैं ?
यह छूत -हा विकार नहीं है जो कफ और कोल्ड ,जुकाम के वायरस की तरह चला आये सिर्फ हाथ मिलाने अलबत्ता इसके कुछ मरीज़ ज़रूर हाथ मिलाने से परहेज़ रखतें हैं आशंकित रहतें हैं कहीं औरों से हाथ मिलाने चीज़ों को छूने से उन्हें कोई रोग संक्रमण न लग जाए .
कुछ पारिवारों में चलते आया है यह रोग कई ऐसे नौनिहाल इस विकार से ग्रस्त मिल जायेंगें जिनके परिवारों में यह रोग रहा आया है उनके माँ -बाप या अन्य किसी रिश्तेदार को (बचपन में इस विकार की पुष्टि कम उम्र में ही हो जाना इसी और संकेत करता है )।हो सकता इन परिवारों में कुछ दूसरे एन्ग्जायती -डिस -ऑर्डर्स भी चलते आयें हो जिनका सम्बन्ध दिमाग में बनने वाले इक न्यूरो -ट्रांस -मीटर सेरो -टोनिन से रहता है .हो सकता है इसके असंतुलन की प्रवृत्ति वंशागत विरासत के रूप में चली आती हो (इसकी कमीबेशी पाई गई है ओब्सेसिव कम्पल्सिव डिस -ऑर्डर में ).बेशक इस न्यूरो -ट्रांस -मीटर का असंतुलन अन्य एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर्स की भी वजह बन सकता है ,लेकिन प्रवृत्ति या पूर्वापरता ,टेंदेंसी का मतलब यह नहीं है रोगपरिवार के अन्य लोगों को होगा ही होगा .
लेकिन परिवारों में यह इक से दूसरी पीढ़ी में कैसे चला आता है इसका कोई निश्चय नहीं ,साइंसदान उन जीवन इकाइयों के बारे में पता लगा रहें हैं जो इक से दूसरी पीढ़ी में चली आतीं हों .लेकिन विशिष्ठ जीवन इकाइयों (जींस )की शिनाख्त होना अभी बाकी है .हो सकता है ओसीडी आपके शरीर की कुदरती कीमियागिरी रसायन शाश्त्र खासकर ब्रेन केमिस्ट्री में हो जाने वाली तब्दीली का नतीजा हो ।
कुछ अर्जित व्यवहारों से भी इसका सम्बन्ध हो सकता है जो समय के साथ साथ कदम ताल करते हुए व्यक्ति अपने अनजाने ही आत्मसात करलेता है ।
ओसीडी से ग्रस्त वे लोग जो ऐसी दवाएं लेतें रहें हैं जो दिमाग के सेरो -टोनिन के प्रकार्य में सुधार लातीं हैं उनमे लक्षणों में सुधार देखा गया है .लक्षण मात्रात्मक रूप में भी कमतर रह जातें हैं .हो सकता है इसकी कमी का नतीजा बनता हो यह विकार ।

कुछ तो दिमागी खलल ज़रूर है साइंसदान ऐसा मानतें हैं यह खलल उस प्रक्रिया में हो सकती है जिसका स्तेमाल दिमाग डर और संदेहों के बाबत प्राप्त संदेशों को बूझने में करता है .
(ज़ारी...)

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