मेजर डिप्रेशन को ,डिप्रेशन मेजर ,युनिपोलर डिप्रेशन ,मेजर डिप्रेसिव डिस -ऑर्डर भी कहा जाता है ।
अवसाद एक ऐसी गंभीर किस्म की मानसिक स्थिति है जिसकी पुनरावृत्ति होती है जिसका प्रबंधन एक चुनौती भी रहा है .क्योंकि इसके लक्षण एकआदि मौके(अवसाद के मुखरित होने ,एक ही एपिसोड ) के लिए नहीं होतें हैं जब तक सही इलाज़ मयस्सर नहीं होता बने रहतें हैं .
जो लक्षण इलाज़ (शुरूआती एंटी -डिप्रेसेंट्स देने के बाद भी )बने रहतें हैं उन्हें "अन -रिज़ोल्व्द सिम्टम्स"कहा जाता है .ऐसे में एक से ज्यादा मेडिकेसंस (एंटी -डिप्रेसेंट्स दवाओं )की ज़रुरत पड़ती है .
६ हफ़्तों या और भी ज्यादा अवधि तक लक्षणों के बने रहने पर इलाजी योजना में तरमीम करने ट्रीट मेंट प्लान को बदलने की ज़रुरत पड़ सकती है जिसका फैसला मनो -रोगों का माहिर ही करता है .ऐसे कितने ही लोग हैं जिन पर एंटी डिप्रेसेंट्स असर कारी ही नहीं रहतें हैं ।
भले आप "सेरो-क्वेल -एक्स आर "जैसे अवसाद रोधी नुश्खों को आज -मालें .
अवसाद का मतलब होता है -अवसाद की छाया में (दुखी मन से (बने )रहना ,दुखी दिखना ,उदास ,निरानंद ,नाखुश बने रहना ."लो की "में बने रहना .अल्पावधि के लिए हम सभी इन मन :स्थितियों से गुज़रतें हैं लेकिन हफ़्तों इन लक्षणों का बने रहना,अवसाद ग्रस्त बने डूबे रहना , मेजर डिप्रेशन की अवस्था है .
वास्तविक डिप्रेशन "ट्र्यू क्लिनिकल डिप्रेशन "को कहा जाता है जो एक मिजाजी विकार है ,मूड डिस -ऑर्डर है .जिसमे दुःख का एहसास ,सब कुछ या कुछ तो खो देने का एहसास ,क्रोध (गुस्सा )या फिर हताशा आपके रोज़ मर्रा के कामो में अडंगा डालने लगती है .और यह व्यवधान खासी अवधि तक (पखवाड़ों ,महीनों ,...)बना रहता है .खुद के नाकारा ,व्यर्थ (बिना काम का प्राणी होने का एहसास )सालता रहता है .नकारात्मक सोच हर चीज़ में हावी रहती है .आसपास कुछ भी सकारात्मक ,दिलचस्प दिखलाई नहीं देता .दिलचस्पी ही मर जाती है ,चीज़ों में ,व्यक्तियों में यहाँ तक की सेक्स में ।अपने होने का कोई मतलब नहीं समझ आता ,खुद की ही नजरों में बेकार हो जाता है असर ग्रस्त व्यक्ति ..
(ज़ारी...).
रविवार, 17 अप्रैल 2011
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