बेशक आज कोई भी एकऐसा ख़ास परीक्षण नहीं है जो यह पुख्ता कर सके की आपको अल्ज़ाइमर्स रोग है .डॉ का फैसला आपके द्वारा बतलाये गए और कुछ स्पस्ट लक्षणों ,कुछ परीक्षणों के नतीजों पर निर्भर करता है .बेशक उनका कयास ९० %तक यह जानने समझने में सही रहता है कि आपके लक्षण अल्ज़ाइमर्स की वजह से ही हैं डिमेंशिया की किसी और किस्म या वजह से नहीं ।
एक दम से सटीक रोग निदान तो अल्ज़ाइमर्सका , रोग ग्रस्त व्यक्ति की मौत के बाद ही तब होता है जब शव परीक्षण के दरमियान मरीज़ के दिमाग की बारीक पड़ताल की जाती है खासकर वहां मौजूद प्लाक्स (एमिलोइड प्रोटीन कोम्प्लेक्स की )और तेंगिल्स की (ताऊ प्रोटीनो के उलझाव की )।
अलबत्ता याददाश्त ह्रास के अन्य संभव कारणों को बरतरफ करने ,रुल आउट करने के लिए ,और अल्ज़ाइमर्स को पहचानने के लिए आज किस्म किस्म के परीक्षण उपलब्ध हैं जिनका सहारा लिया जाता है उनमे से ही कुछ की यहाँ चर्चा की जायेगी :
(१)फिजिकल एंड न्युरोलोजिकल एग्जाम्स :
कायिक परीक्षणों और रिफ्लेक्सिज़ के द्वारा स्नायुविक स्वास्थ्य का जाय जा लिया जाता है जिसके तहत -
(१)रिफ्लेक्सिज़ के अलावा -
(२)मसल टोनएंड स्ट्रेंग्थ (पेशियों के दम ख़म)।
(३)कुर्सी से बिना किसी के मदद के उठने ,उठकर कमरे में ही टहलने का
(४)स्पर्श और दृश्य के प्रति रेस्पोंस (अनुक्रिया -प्रति -क्रिया -रिएक्ट करने का )
(५)समायोजन (को -ओर्डिनेशन ,समन्वय आदि करने की क्षमता )का और
(६)संतुलन का -
जायजा लिया जाता है ।
(२)लेब टेस्ट्स :कुछ ख़ास रक्त परीक्षणों की मदद से यह भी पता लगाया जाता है कहीं याददाश्त क्षय कुछ विटामिनों की कमीबेशी या फिर थाइरोइड डिस -ऑर्डर्स की वजह से तो नहीं है ।
(३)मेंटल एंड स्टेटस टेस्टिंग :
(१)मरीज़ से घडी की आकृति बनाकर उसमे एक बताया हुआ समय दिखाने के लिए कहा जाता है ।
(२)आज क्या तारीख है और आप इस समय कहाँ हैं यह भी पूछा जाता है ।
(३)एक दूसरे को काटते हुए दो पेंटा -गन्स की आकृति दिखलाकर उसे एक कागज़ पर ड्रो करके दिखलाने के लिए कहा जाता है ।
(४)मरीज़ को एक तीन स्टेप वाला कमांड फोलो करने के लिए कहा जाता है .मसलन तीन कदम चलके दिखलाओ .या फिर वह सामने वाली दराज़ खोलो वहां से ग्लास लो और सामने वाले नलके से पानी लाओ ।
(५)तीन शब्दों की एक सूची को याद रखने के लिए कहा जाता है ।
(६)कुछ लिखे हुए अनुदेशों का पालन करके दिखाने के
लिए कहा जाता है ।
(७)एक पूरा वाक्य लिखकर दिखलाने के लिए कहा जाता है ।
(८)सौ की गिनती पीछे की और सात घटाते हुए करने के लिए कहा जाता है यानी ९३ ,८६ ,७९ ...
(३)न्यूरो -साइक्लोजिकल -टेस्टिंग :
इसके तहत आपकी विचारधारा(सोच और सोचने की शक्ति ) और याददाश्त का व्यापक जायजा लगाया जाता है .इसमें कई घंटों का समय लगता है लेकिन यह पता चल जाता है अपनी ही उम्र के अन्य लोगों से आप किस तरह भिन्न हैं .
खासकर यह परीक्षण डिमेंशिया या फिर अल्ज़ाइमर्स के शुरूआती दौर का पता लगाने में बहुत उपयोगी सिद्ध होता है .डिमेंशिया की अलग किस्मों में यह पैट्रन सोच का याददाश्त का कैसे बदलता है इसका भी इस परीक्षण से इल्म होता है ।
(ज़ारी ....).
मंगलवार, 19 अप्रैल 2011
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