सेरिब्रल पालजी के कारण और उनसे बचाव ?
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१९८० के दशक के बीच की बरसों में सेंटर फॉर डि -जीज़िज़ कंट्रोल ने दस साला बच्चों में इस विकार के कारणों का पता लगाने के लिए एक अध्ययन और करवाया ।
इनमे से भी १६%में सेरिब्रल पालजी की वजहें तभी पैदा हो गईं थीं जब ये तीस दिन के ही थे .इनमे से आम वजहें रहीं रोग संक्रमण (इन्फेक्संस ),हेड इंजरी तथा ब्रेन अटेक (स्ट्रोक ).
सेरिब्रल पालजी के कुछ कारणों से बचा जा सकता है :
मसलन बाइक- हेल्मेट्स तथा कार सीट्स (बेल्ट्स )हेड इन्जरीज़ से बचा सकतीं हैं जो सेरिब्रल पालजी की वजह बन सकती हैं ।
केर्निक्टेरुस से भी बचा जा सकता है जो एक प्रकार का ब्रेन डेमेज ही है जो नवजात शिशु को बहुत ज्यादा जौंडिसहोने से हो सकता है ।
कुछ नवजातों में यकृत (लीवर )में बिलीरूबिन (यलो पिगमेंट )के ज्यादा पैदा होने से चमड़ी और आँखों का सफ़ेद हिस्सा (वाईट ऑफ़ दी आई) भी पीला पड़ने दिखने लगता है .यही पीलिया (हिपेताई -टिस )का प्रमुख लक्षण है .थोड़ा बहुत बिलीरूबिन कोई समस्या पैदा नहीं करता है ,अकसर माइल्ड जौंडिस नवजातों को हो भी जाता है और कुदरती तौर पर खुद बा खद ठीक भी हो जाता है .(सेल्फ लिमिटिंग डिजीज )।
लेकिन कुछ शिशुओं में बहुत ज्यादा यलो पिगमेंट बन जाता है ,समुचित इलाज़ इस स्थिति में न हो पाने पर ब्रेन डेमेज हो सकता है नवजातशिशु का .
केर्निक्टेरुस अकसर सेरिब्रल पालजी तथा श्रवण ह्रास (हीयरिंग लोस )की वजह बनता है लेकिन कुछ बच्चों में यह इन्तेलेक्च्युअल डिस -एबिलितीज़ (बौद्धिक अक्षमताओं )की वजह भी बन जाता है ।
फोटो -थिरेपी से इसका कारगर इलाज़ संभव है .इससे केर्निक्टेरुस से बचाव संभव है .शिशुओं पर आजमाए जाने वाली अन्य थिरेपीज़ का भी सहारा लिया जा सकता है इससे बचाव के लिए ।
सेरिब्रल पालजी से व्यक्ति रोग मुक्त तो नहीं हो सकता .लेकिन इलाज़ व्यक्ति को घर परिवार ,स्कूल ,कोलिज दफ्तर तक जाने में अधिक से अधिक समर्थ बनाने में मदद करता है .
इलाज़ ही इलाज़ हैं :
(१)फिजिकल थिरेपी (फिजियो -थिरेपी )।
(२)अक्युपेश्नल थिरेपी ।
(३)मेडिसन ।
(४)ऑपरेशंस तथा ब्रेसिज़ ।
इनकी चर्चा अगली पोस्ट में होगी ।
(ज़ारी ).
शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011
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