मंदिर में जाकर आप शैम्पेन नहीं खोल सकते .किसी का बाप मर गया है वहां उसी दिन जाकर आप शादी का निमंत्रण नहीं दे सकते .कला या और कुछ के नाम पर आपको ऐसा करने की आज़ादी भारत देश में भी नहीं दी जा सकती .बुरा लगे या भला ।
परसों २६ /११ ,मुंबई हमले पर शहीद हुए देश के चुनिन्दा जाँ- बाजों की बरसी थी और कल यानी २९/११ /२०१० के दिन अपने शाह रुख खान साहिब लन्दन में एक कार्यक्रम करने जा रहें हैं जिस से प्राप्त राशि पाकिस्तान के बाढ़ पीड़ितों को भेजी जायेगी ।
वो लौंडिया (बुरा लग रहा है तो युवती पढ़ लें )न्यूज़ -२४ पर गाल बजा रही थी .अपने शब्द हमारे मुंह में भरने की हास्यास्पद कोशिश कर रही थी ।
आग्रह मूलक बेहूदा परिचर्चा का विषय था "पाकिस्तान ,शाह -रुख खान और शिव सेना ''हालाकि परिचर्चा में और राजनीतिक पार्टियों के नुमाइंदे भी थे .कुलदीप नैयर साहिब भी थे जिन्होंने यह बताना ज़रूरी समझा उनके आर्तिकिल्स पाकिस्तान में भी रोज़ पढ़े जातें हैं ।
शाह रुख खान साहिब की फ़िल्में भी पाकिस्तान में देखी ही जाती होंगी .अच्छी बात है ।
परिचर्चा का सन्दर्भ था "पाकिस्तान और शाह रुख खान "।लेकिन शीर्षक था "पाकिस्तान ,शाह रुख खान और शिवसेना ".
खान साहिब आपने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए गलत वक्त चुना .समय और काल ,स्थान का बोध हर` व्यक्ति को होना चाहिए .आप कैसे चूक गए ।
रही बात कुलदीप नैयर साहिब ,एन एन वोहरा और सच्चर जैसे हम -विचारों की जीजा साले हैं .आपस में ।
अरुंधती रॉय भी इसी खेमे की हैं जो नेहरूजी की अस्थियाँ बटोर रहीं हैं .इनके बारे में क्या कहें .
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5 टिप्पणियां:
बहुत ही निन्दनीय चीजें हो रही हैं>.
गलत जवाब,
इन बातों का तब अर्थ होता है जब बाकी सब ठीक प्रकार से हो रहा हो और कोई एक व्यक्ति ऐसा कुछ गलत कर दे...
मैं तो कहता हूँ कि कुछ फ़र्क नहीं पडता अगर शाहरूख खान हमलों की बरसी के दिन पाकिस्तान में जाकर भी बाढ पीढितों के लिये चन्दा इकट्ठा करें। बशर्ते हम सिर्फ़ खोखली भावनाओं का वास्ता न दें, अपना घर सुरक्षित रखें। उन हमलों की बरसी के दिन हमें सोचना चाहिये कि क्या देश एक साल पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित है? हमने क्या उपाय किये जिससे अन्तराष्ट्रीय समुदाय में हमारा फ़िर से मजाक न बनें।
देश का निर्माण सतत, कष्टप्रद प्रक्रिया है और उस पर खोखले जज्बातों का फ़र्क नहीं पडता। लेकिन एक कमजोर मुल्क की तरह हम बस दिखावे की प्रोटोकाल्स और भावनाओं के बवंडर में बहे जाते हैं।
बहुत क्षोभ होता है ऐसा हाल देखकर...
Thanks for your valueable comments .Your conclusions are lojical .
veerubhai .
@ नीरज रोहिल्ला ..सही कहा ये खोखले जज्वात...यही तो कहा है कि शाहरुख खान के जज्वात हमले की बरसी के दिन खोखले हो गये...वो पाकिस्तान के हित मैं कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम कर रहा है.....आतंक का विरोध करना है है तो हमे हर स्तर पर पाकिस्तान का विरोध करना होगा....हम उनके गले मैं हाथ डाले रहें और वे हमारे पीछे से छुरी चलाते रहें ....ये नहीं चलेगा....
shukriyaa zanaab .
veerubhai .
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