स्नोरिंग यानी खर्राटे क्यों पैदा होतें हैं ?
किसी भी ध्वनी ,किसी भी किस्म की श्रव्य या अश्रव्य आवाज़ के पैदा होने के लिए कम्पनों का पैदा होना एक आवश्यक शर्त है .सोफ्ट पैलट (तालू )के कम्पन बनते हैं खर्राटे की वजह .कम्पनों की वजह सांस की धौकनी का अटक के लेकिन शोर पैदा करते हुए चलना है .कह सकतें हैं खर्राटे गले की घंटी हैं .गहरी नींद को छोडिये कुछ लोग तो उनींदे बैठे -बैठे दिन में भी खर्राटे लेतें हैं .(हाइपो -थारोइड -इज्म से ग्रस्त लोग ऐसा करते देखे जा सकतें हैं )।
अलबत्ता खर्राटे उप -ज्व्हिया (यूव्युला ,कौआ,गले की घंटी भी कहा जाता है इसे अलिजिह्व्या भी कहतें हैं जो मुख के एक दम भीतर ठीक गले से ऊपर लटकता छोटा मांस पिंड होता है )या एपिग्लोतिस (काग या कौआ ,काकल ) के ज़ोरदार हरकत में आने से भी पैदा होतें हैं .दायें -बाएं हिलने लगता है काग या कौआ .इट एग्जीक्युट्स टूएंड फ्रो मोशन .इन्हीं कम्पनों का नतीजा होता है स्नोरिंग जो हमारी औडिबिल रेंज (श्रवण की सीमा के अन्दर बने रहतें हैं .).अनेक वजहें होतीं हैं आ -बाल -वृद्धों में खर्राटों की .इससे पहले की ये खुद के लिए जान लेवा और दूसरे की नींद ले उड़ने वाले बने चिकित्सीय परामर्श ज़रूरी है .अलबत्ता मोटापा कम करना धूम्रपान छोड़ देना लाभ -दायक सिद्ध होता है .बच्चों में टोंसिल या एडी -नोइड्स बढ़ने पर इन्हें सर्जरी के द्वारा ज़रूरी होने पर निकाल दिया जाता है.दोनों का बढना बच्चों में खर्राटों की वजह बन सकता है .नासिका श्वसन मार्ग (नेज़ल ए-यर वे )की सर्जरी भी की जाती है ताकि सांस की आवाजाही में आने वाली बाधा को हठाया जा सके ।
पला -टो -प्लास्टी ,यूव्युलो -पला -टो -फेरिंगो -प्लास्टी भी की जाती है .
गुरुवार, 18 नवंबर 2010
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