जिनका एक पैर अकसर हवाईजहाज में रहता है ,सात समुन्दर पार की हवाई यात्रा जो अकसर करते रहतें हैं वे विमान यात्री एक माह बाद तक भी अपनी दैनिकी में लौटने पर थके मांदेऔर भुलक्कड़ बने रह सकतें हैं .एक अमरीकी अध्ययन के मुताबिक़ जैट लेग इनके मष्तिष्क में लॉन्ग टर्म (दीर्घावधि बदलाव )चेंज़िज़ पैदा कर सकता है .यही हाल उनका होता है जो हर दूसरे दिन बदलती दिन -रात की पालियों में काम करने को मजबूर होतें हैं .यह अपने किस्म का पहला अध्ययन है जो जीवन शैलीबदलावों के दिमाग की एनाटोमी पर पड़ने वाले प्रभावों की पड़ताल करता प्रतीत होता है ।
केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ,बर्कली कैम्पसके मनोविज्ञान विभाग में सहायक प्रोफ़ेसर लंके क्रिएग्स्फ़ेल्द इसे हमारे बोध सम्बन्धी व्यवहार ,सीखने की क्षमता आदि पर (कोगनिटिव बिहेवियर ) दीर्घावधि प्रभाव डालने वाला बतलातें हैं फिर वह चाहें रात की पाली में काम करने वाले मेडिकल रेज़ीडेंट हों या फ्लाईट अटेंडेंट हमारी जैव घडी का (सर्कादियाँ रिदम )का गाहे -बगाहे डिस -रप्त होना अपने दीर्घावधि असर छोड़ता है ।
अपने प्रयोगों में रिसर्च्दानों ने फिमेल हेम्स्तर्स के शिड्यूल में हफ्ते में दो बार चार सप्ताह तक ६ घंटों का बदलाव किया .(समझ लीजिये इन्हें न्यू -योर्क से पेरिस की उड़ान में सप्ताह में दो बार सवारी कराई ।).
खंडित सर्कादियंन रिदम से दुखी हैरान परेशान ये हेम्स्तर्स
मामूली पाठ भी रोजमर्रा के इन चार हफ्तों की अवधि में सीखने में खासी दिक्कत महसूस करते दिखे .सामान्य दैनिकी में आने के एक माह बाद तक भी इन्हें सीधी -साधी चीज़ें सीखने में दिक्कतें आती रहीं ।
वास्तव में इनके दिमाग के एक हिस्से हिप्पाकैम्पस में जेट लेग के दीर्घावधि असर की वजह से नए न्युरोंस आधे ही संख्या में पैदा हुए .याददाश्त से ताल्लुक रखता है हिप्पाकैम्पस .जेट -लेगेद हेम्स्तर्स कंट्रोल ग्रुप के हेम्स्तर्स के बनिस्पत आधे ही न्युरोंस दर्ज़ कर पाए ।
जर्नल "पलोस वन /पीएलओएस वन "में इस अध्ययन के नतीजे प्रकाशित हुए हैं ।
पूछा जा सकता है हेम्स्तर्स का चयन ही इस अध्ययन के लिए क्यों किया गया .वास्तव में इनकी जैव घडी एकदम से सटीक होती है २४/७ काम करती है .हमारी अपनी सर्कादियंन रिदम सी ।
गौर तलब यह भी है शिफ्ट वर्कर्स हों या सात समुन्दर पार की बारहा हवाई यात्रा करते रहने वाले यात्री इन सभी में 'दिक्रीज्द रिएक्शन टाइम्स ,डायबिटीज़ की ऊंची दर ,हृद रोग तथा हाई -पर -टेंशन ,कैंसर तथा रिद्युस्द फर्टिलिटी देखी गई है ।
इस से बचाव का तरीक़ा भी क्रिग्स्फेल्ड सुझातें हैं .एक दिन का रिकवरी टाइम चाहिए वन आवर टाइम ज़ोन शिफ्ट के बाद .नाईट -शिफ्ट वर्कर्स को घुप्प अँधेरे कमरों में सोना चाहिए .शोर शराबे से दूर ताकि उनका शरीर तंत्र बदले हुए शैड्यूल से ताल मेल रख सके ।
हेम्स्टर एक पालतू जीव है .यह पालतू जानवर चूहों जैसा ही होता है .ये अपने दोनों मोटे मोटे गालों में भोजन ज़मा करके रखतें हैं .कुछ मोटे और बिना पूंछ के जानवर हैं हेम्स्तर्स .
शनिवार, 27 नवंबर 2010
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1 टिप्पणी:
अच्छी जानकारी-आभार !
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