गत पोस्ट से आगे ...
नि -इंदर -थल आदीमानव , मानवीय इतिहास के आरंभिक चरण में योरोप में रहते थे .पथ्थरों के औजारों का स्तेमाल करते थे .गुफा वासी ये प्राणी एक से ज्यादा लोगों से यौन सम्बन्ध बनाए रहते थे .पोलिगेमी और पोली -एन्ड्री आम थी .सेक्स के मामलेमें बहुत केज्युअल थे ये प्राणी ।
ऑक्सफोर्ड ,लीवरपूल ,साऊथ -अप्टन और कलगरी विश्वविद्यालयों के रिसर्चरों ने इस दौर के मानवों के अवशेषों में से ऊंगलियों की अस्थियों का माप लिया है ।
तर्जनी और रिंग फिंगर की लम्बाई के अनुपात का आकलन कर एक रोचक निष्कर्ष यह निकाला है ये लोग प्रोमिस्कुअस बिहेवियर में आज के आधुनिक मानव से बहुत आगे थे .केज्युअल सेक्स एक नियम था अपवाद नहीं यानि इन लोगों में तर्जनी (इंडेक्स फिंगर )और रिंग फिंगर की लम्बाई का अनुपात कमतर पाया गया है ।
ये प्राणी पोलिगेमस थे ,पोलियेंद्रसथे ।
जबकि मोनो -गे -मस(एक पत्नी ,एक पति प्रथा को मानने वालों में )यह अनुपात ज्यादा रहता है ।
वास्तव में एंड्रोजन का उच्चतर स्तर (उदाहरण के लिए टेस्टों -स्टेरोंन )का उच्च स्तर तर्जनी की लम्बाई में वृद्धि कर देता है रिंग फिंगर की तुलना में ।
ऐसा समझा जाता है 'प्री -नेटल एंड्रोजन गर्भावस्था में भ्रूण के विकास के दौर में फिंगर लेंग्थ को प्रभावित करता है .
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