किड्स ओबेसी बाई ९ रिस्क गेटिंग हार्ट डीज़ीज़ बाई एज १५ (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,नवम्बर २७ ,२०१० ,पृष्ठ २३ )।
एक नवीन अध्ययन के अनुसार जो बच्चे ९ साल की उम्र में ही ओवरवेट हो जातें हैं और १५ साल की उम्र तक भी ओवरवेट ही बने रहतें हैं उनके हृद रोगों की चपेट में आने का जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है ।
ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के रिसर्च दानों ने पहली मर्तबा बॉडी मॉस इंडेक्स ,वेस्ट साइज़ और फैट मॉस के बीच एक अन्तर -सम्बन्ध की पड़ताल ९-१५ साला (पूर्व -किशोरावस्था ) बच्चों में की है .साथ ही किशोरावस्था के बाद के वर्षों (उत्तर -किशोरावस्था ,लेट- टीन्स ) ऐसा होने पर दिल के लिए पैदा होने वाले खतरों के वजन की भी पड़ताल की है ।
पता चला जिन बच्चों का ९ साल की उम्र से ही बॉडी मॉस इंडेक्स ज्यादा हो जाता है और ये बच्चे फैट(मोटे )ही बने रहतें हैं इनमे न सिर्फ हाई -ब्लड प्रेशर रहने की संभावना बढ़ जाती है .इनमे कोलेस्ट्रोल और ब्लड इंसुलिन लेविल्स भी ज्यादा बने रहने की गुंजाइश पैदा हो जाती है .१५ साल की उम्र तक आते -आते इनके लिए हृद रोगों का ख़तरा इन्हीं रिस्क फेक्टर्स के चलते बढ़ जाता है .जो बच्चे १५ की उम्र तक हेल्दी वेट हासिल कर लेतें हैं उनके लिए ये जोखिम भी कम हो जाता है ।
यह अध्ययन जो ५२३५ बच्चों पर संपन्न किया गया है उस बड़े रिसर्च प्रोजेक्ट का एक हिस्सा भर है जिसके तहत पैदा होने के बाद से ही १४,००० बच्चों का स्वास्थ्य सम्बन्ध हिसाब किताब रखा गया है .रिसर्चरों ने अपने इस अध्ययन में९-१२ साला बच्चों के बॉडी मॉस इंडेक्स (बी एम् आई जो भार (किलोग्रेम )/(हाईट ),मीटर स्क्वायार्ड ,का अनुपात होता है ),कटि -प्रदेश का माप यानी सर्काम्फ्रेंस ऑफ़ वेस्ट ,तथा सभी बच्चों के फैट -मॉस का भी हिसाब रखा है ।
बेशक लड़कों में कुदरती फैट की मात्रा लड़कियों से कम रहती है ,बी एम् आई का आकलन करते वक्त लिंग का भी ध्यान रखना पड़ता है .लेकिन बी एम् आई ,भार (किओलोग्रेम )और हाईट इन मीटर स्क्वायार्ड का ही अनुपात रहता है ।
पता चला ९-१२ साल के दरमियान जिन बच्चों का बी एम् आई ज्यादा (उच्चतर )बना रहा उनके लिए १५-१६ साल की उम्र में ही दिल की तकलीफों के आसार पैदा हो गए .दूसरे फेक्टर्स पर गौर करने ,एडजस्ट करने के बाद भी यही जोखिम बना रहा ।
ब्रितानी हार्ट फाउन्देशन के कैथी रोस के अनुसार सिल्वर लाइन यही है जो बच्चे किशोरावस्था तक आते आते अपना वजन कद काठी के अनुरूप कर लेतें हैं ,कम कर लेतें हैं उनके लिए हृद रोगों के खतरे भी कम हो जातें हैं .
शनिवार, 27 नवंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें