रेटिनल इम्प्लांट ब्रिंग्स बेक विज़न (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर ५ ,२०१० )।
डिवाइस 'रिएवेकिंस 'नर्व्ज़ हेल्प्स पेशेंट्स सी विद- इन डेज़ ऑफ़ ट्रीट -मेंट ।
आँखों का एक अपविकासी रोग है ,डी -जेंरेटिव डी -जीज़ है 'रेतिनाइतिस पिग्मेंतोसा '.समझा जाता है दुनिया भर में इस से दो लाख लोग हर बरस अंधत्व की चपेट में आ जातें हैं .एक नया नेत्र -प्रत्या -रोप ,एक नै जर्मन प्राविधि इन लोगों को बीनाई लौटाने की उम्मीद पैदा करती है ।
तीन मरीजों पर इस आई -इम्प्लांट की आज़माइश के बाद अब ये तीनों आकृतियों और कुछेक चीज़ों को देखने पहचानने लगें हैं .समझा जाता है आइन्दा पांच बरसों में यह आई इम्प्लांट आम ओ खास दोनों को मयस्सर हो सकेगा ।
इसे सब -रेटिनल इम्प्लांट कहा जा रहा है .यह रेटिना के ठीक नीचे फिट बैठ जाता है .विनष्ट हो चुके 'लाईट -रिसेप्टर्स ' प्रकाश अभिग्रहियों का यह शीघ्र ही स्थान ले लेता है .रेतिनाइतिस पिग्मेंतोसा में यही प्रकाश अभिग्राही नष्ट हो जातें हैं .दुबारा इनका उत्पादन नहीं होता है .इसीलिए इसे अप -विकासी नेत्र रोग कहा जाता है ।
जब आँख प्रकाश को भांपने लगती है तब यह डिवाइस (आई -इम्प्लांट ) आँख की इमेज प्रोसेसिंग की कुदरती क्षमता का स्तेमाल करते हुए एक स्टेबिल विज्युअल इमेज ,एक मुकम्मिल और स्थाई दृश्य प्रतिबिम्ब रेटिना पर उकेर देती है ।
यह डिवाइस एक नन्नी सी प्लेट है जिसका माप बामुश्किल ३ वर्ग मिली -मीटर है ,मोटाई एक मिली -मीटर का दसवां हिस्सा है जिसमे १५०० सेन्सर्स (प्रकाश संवेदी )मौजूद हैं .
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