व्हाट डज़ दी केमिल स्टोर इन इट्स हम्प (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर ७ ,२०१० )।
जन विश्वाश और लोकोक्ति के विपरीत रेगस्तान का जहाज़ कहाने वाला ऊँट अपने कूब में पानी नहीं वसीय ऊतक (फेटि टिस्यूका भंडार बनाए रहता है .).संजोये रहता है .इसका सीधा फायदा यह होता है कूब को छोड़कर शेष शरीर का गर्मी को फंसा कर रोके रखने वाला कवच (हीट ट्रेपिंग इन्स्युलेशन ) न्यूनतम हो जाता है .यही वजह है वह रेगिस्तान की बे -तहाशा गर्मी के अनुरूप खुद को ढाल लेता है ,अनुकूलन कर लेता है ।
जब यह वसीय ऊतक मेटा -बोलाइज़(चय -अपचयन )करतें हैं ,केलोरीज़ पैदाहोती हैं .तब प्रति एक ग्रेम वसा के पीछे एक ग्रेम से ज्यादा जल भी पैदा होता है .यानी ऑक्सीजन से संयुक्त होकर एक रासायनिक क्रिया के तहत जब चर्बी जलती है ,ऊर्जा के संग साथ जल भी पैदा होता है ।
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