जॉब स्ट्रेन इज बेड फॉर वोमेन्स हार्ट्स ।
वर्क रिलेटिड स्ट्रेस डबल्स डी रिस्क ऑफ़ हार्ट एटेक एंड अदर कार्डिएक प्रोब्लम्स .(डी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,नवम्बर १५ ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
कामकाजी महिलाओं के लिए दफ्तरी दवाब (हाई -जॉब स्ट्रेन ) हृद वाहिकीय रोगों के खतरे को ४०%फीसद बढा देता है .हार्ट एटेक तथा एनजीओ -प्लास्टी जैसे प्रोसीजर्स के मामले भी बढ़ जातें हैं .एक अध्ययन से यह पुष्ट हुआ है ।
जॉब स्ट्रेन है क्या ?
यह एक तरह का मनो -वैज्ञानिक दवाब है जहां आपको निर्णय लेने और अपनी रचनात्मक -प्रतिभा दिखलाने करने की आज़ादी नहीं है .आपको तो बस ले देके लक्ष्य पूरे करने हैं दिन-रात खटके ।
इसके कुछ बुरे असर आपकी हृद -वाहिकीय सेहत (कार्डियो -वैस्क्युलर हेल्थ )पर तुरत तथा कुछ दीर्घकालिक प्रभाव बाद में दिखलाई देते हैं .जॉब स्ट्रेस इज बेड फॉर योर हार्ट ।
ब्रिघम एंड वोमेन्स हॉस्पिटल बोस्टन के साइंसदानों ने इस अध्ययन को संपन्न किया है १७४१५ तंदरुस्त महिलाओं के कामकाजी दवाब का विश्लेसन करने के बाद .ये सभी महिलायें काउस्कासियन हेल्थ प्रो -फेशानल हैं ,औसतन ५७ साला , इस लैंडमार्क वोमेन्स हेल्थ स्टडी का हिस्सा बनी हैं .इन्होने सारी सूचनाअपने लिए दिल की बीमारियों से जुड़े मौजूदा खतरों ,कामकाजी दवाब तथा नौकरी के हाथ से निकल जाने की शंका के बाबत मुहैया करवाई थी .इनका १० सालों तक स्वास्थ्य सम्बन्धी रिकार्ड रखा गया है .एक मानक प्रश्नावली इनसे भरवाई गई है ताकि नौकरी से जुडी अनिश्चितता ,जॉब स्ट्रेन का वस्तु - परक तरीके से विश्लेसन किया जा सके ।
पता चला जो महिलाए हाई -वर्क स्ट्रेन से जूझ रहीं थीं उनके लिए दिल के दौरों का ख़तरा ४०%बढ़ गया था .इनमे कोरोनरी आर्ट -अरि- बाई -पास -सर्जरी ,बेलून एंजियो -प्लास्टी ,तथा मृत्यु का जोखिम भी बढा हुआ दर्ज़ हुआ ।
बात साफ़ है: दफ्तरी काम का सकारात्मक या फिर नकारात्मक असर औरत के स्वास्थ्य पर पड़ता ही है .ज़रूरी है दवाबों को तौलना समझना उनसे पार पाना ।
रिसर्च्दानों ने इस अध्ययन के तमाम नतीजे अमरीकी ह्रदय संघ के समक्ष रखें हैं .संघ का वैज्ञानिक सत्र २०१० हाल ही में शिकागो में संपन्न हुआ हुआ है ।
मंगलवार, 16 नवंबर 2010
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1 टिप्पणी:
kaamkaji mahila sach mein ghar baahar pisti rahti hai.... achhi jaankari
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