माहिरों ने आवंच्छित पार्श्व -प्रभावों का कुल आकलन करने के बाद राय ज़ाहिर की है ७५ मिलिग्रेम एस्पिरिन का अधेड़ उम्र के लोगों के लिए रोजाना सेवन हृद -रोगों और कैंसरसे ऐसे तमाम मिडिल एज्ड लोगों को बचाए रह सकता है जिन्हें इन दोनों रोगों के होने का ख़तरा ज्यादा बना हुआ है .ज़ाहिर है ४५ से ऊपर के तमाम लोग इस पर विचार कर सकतें हैं .अकादमिक लाइन के लोगों की माने तो इस जादुई गोली के प्रिवेंटिव मेडिसन के बतौर फायदे ज्यादा है नुक्सान कम .विज्ञान पत्रिका 'लांसेट 'में इस अध्ययन के नतीजे प्रकाशित हुए हैं ।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में संपन्न एक रिपोर्ट से पता चला था ७५ मिलिग्रेम की एस्पिरिन की टिकिया का लगातार पांच बरसों तक सेवन "बोवेल कैंसर "के खतरे के वजन को घटाकर एक चौथाई और इस से होने वाली मौतों को एक तिहाई कर सकता है ।
इस अन्वेषण के ठीक एक माह बाद ही माहिरों ने "रोयल सोसायटी ऑफ़ मेडिसन 'को संबोधित करते हुए उक्त सिफारिश की है .एस्पिरिन की बिना पर्चे के मिलने वाली ओवर डी काउंटर टिकिया ३०० मिलिग्रेम की होती है .७५ मिलिग्रेम की टिकिया उसकी एक चौथाई डोज़ भर है ।
पूर्व के अध्ययनों से भी लो डोज़ की कारगरता हृद रोगों से बचाए रखने में ,हृद रोगों को कम करने में असरकारी पाई गई है ।
संदर्भित अन्वेषण के अपने मायने हैं जो बेहद महत्वपूर्ण हैं .अनुसंधान इस दिशा में भी चल रहें हैं ,क्या एस्पिरिन बोवेल कैंसर के अलावा अन्य किस्म के कैंसरों में भी बचावी और प्रभावी चिकित्सा बन सकती है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-'फॉर ओवर -४५ज़ ,एन एस्पिरिन ए डे कट्स कैंसर रिस्क '(डी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,नवम्बर २५ ,२०१० ,पृष्ठ १९ .)
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