न्यू -इन्नोवेशन टू हेल्प चाइल्ड -लेस कपल्स कंसीव (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर १२ ,२०१० )।
ऑस्ट्रेलियाई फर्टिलिटी एक्सपर्ट्स ने एक ऐसी प्रोद्योगिकी विकसित कर ली है जो स्पर्म को ७३००० गुना आवर्धित (मेग्निफाई )कर देती है ताकि इनमे से अधिक सक्षम शुक्राणुओं से गर्भाधान करवाया जा सके .इस प्रकार माहिरों ने शुक्राणुओं को १५ सेंतीमर्स लम्बाई तक आवर्धित कर लिया है .जबकि इतने मेग्निफिकेशन के बाद स्पर्म -हेड का आकार भी खासा बड़ा तकरीबन १० सेंट पिसिज़ के बराबर दर्ज़ किया गया .यह पूर्व के आवर्धन से १८ गुना ज्यादा रहा है ।
कई मर्तबा इन्फर्तिलिती या फिर बच्चे के गिरने (मिस्केरिज )की वजह स्पर्म को होने वाली डी एन ए नुकसानी (डी एन ए डेमेज टू स्पर्म )बना है .ऐसे ही दम्पत्तियों के लिए आस की किरण बन सकती है यह अद्यतन प्रोद्योगिकी जो प्रजनन क्षम शुक्राणुओं की बड़े ही सटीक ढंग से शिनाख्त कर सकती है .कई मर्तबा शुक्राणुओं में आकृति सम्बन्धी दोष ,एक से ज्यादा हेड्स की मौजूदगी (स्पर्म्स विद मल्तिपिल हेड्स) भीपार्टनर के कंसीव न कर पाने की वजह बनती है .इनको भी इस प्रोद्योगिकी का लाभ मिलेगा .४०० गुना आवर्धन के बाद कुछ शुक्राणु नोर्मल प्रतीत होते हैं .पूर्व में इससे ज्यादा आवर्धन संभव नहीं हो पाता था .लेकिन ७३०० गुना आवर्धन होने पर साफ़ पता चलता है शुक्राणु के सिर में एक सूराख होता है .इसी नन्ने से होल में क्रोमाटिन या डी एन ए आवास बनाए रहता है .बस यही कमजोरी इन्हें फ़र्तिलाइज़ केअ - योग्य साबित कर देती है .अब ऐसे स्पर्म को छाँट कर अलग कर दिया जाएगा .
शुक्रवार, 12 नवंबर 2010
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