बुधवार, 10 नवंबर 2010

दुःख की रग को राहत देता है यौन -शिखर (ओर्गेज़म ).

बिग ओ डी -कंस -ट्रक -टिड :प्लेज़र लाइट्स अप ब्रेन .स्केन रिवील्स पैन रिसेप्टर्स नमब्द मिनिट्स बिफोर क्लाइमेक्स (डी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर ९ ,२०१० )।
साइंसदानों ने पहली मर्तबा यौन -शिखर पर पहुंची औरत के दिमाग में होने वाली रासायनिक हल चल का जायजा लिया है .पता चला पुरुषों के बरक्स इस दीर्घकाली ओर्गेज़म के दरमियान औरत का नर्वस सिस्टम सुन्न (नंब )पड़ जाता है ,दर्द का एहसास जाता रहता है केवल आनंद की अनुभूति बचती है .दुखती रग से राहत दिलवाता है यौन शिखर (ओर्गेज़म ).मल्तिपिल ओर्गेज़म से गुज़रती है औरत .यही आनंदातिरेक की तुरिया अवस्था है ।
जबकि पुरुष अपना काम करके चलता बनता है .सुरक्षा कवच धारण कर के कुरुक्षेत्र के मैदान में कूद जाता है .यह भी नहीं देखता कोई हताहत भी हुआ या नहीं .किसी को संसर्ग का सुख भी मिला या नहीं ।
रुत्गेर्स यूनिवर्सिटी के साइंसदानों ने स्केन के ज़रिये पता लगाया है यौन -शिखर दिमाग के तीस अलग अलग हिस्सों पर अपना असर दिखाता है इनमे वह हिस्से भी शरीक रहें हैं जो संवेग -आवेग -ज़ज्बात ,स्पर्श ,आनंद ,संतुष्टि और याददाश्त से ताल्लुक रखते हैं .औरत के दिमाग की ओर्गेज़म के क्षणों में पूरी पड़ताल से सेक्समें अरुचि ,सेक्स्युअल डिस -फंक्शन या फिर लो लिबिडो का समाधान भी ढूंढा जा सकेगा .मेग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग स्केनर का ८ औरतों पर उस समय स्तेमाल किया गया जब उन्हें एक कम्बल के नीचे इस मशीन के अन्दर रहते खुद को उत्तेजित करने के लिए कहा गया .ज्यादर तर औरतें ५ मिनिट में ही यौन शिखर को छूने लगीं लेकिन कुछ बीस मिनिट तक शिखर पर बनी रहीं .हर दो सेकिंड के अंतर से स्केन लिए गए .पता चला ओर्गेज़म से ठीक २ मिनिट पहले दिमाग के रिवार्ड सेंटर्स एक्टिवेट हो जाते हैं .यह दिमाग के वह हिस्से हैं जो खाने और पीने के दौरान सक्रीय होते हैं .

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