'चिल्ड्रन ऑफ़ डि -वोर्स्ड पेरेंट्स प्रोन टू स्ट्रोक एज एडल्ट्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,नवम्बर २३ ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
एक अध्ययन के मुताबिक़ बड़े होने पर वह बच्चे जो बचपन में अपने माँ -बाप को तलाक की वजह से अलग होते देखने की पीड़ा से खुद भी गुज़रतें हैं ब्रेन -अटेक के खतरे से दो गुना ज्यादा घिरे रहतें हैं .टोरोंटो विश्वविद्यालय के रिसर्चरों ने कनाडा में रहने वाले १३,००० लोगों के रिकार्ड को खंगालने के बाद पता लगाया है जिन बच्चों के माँ -बाप अलग हो गए थे उनमे से २%लोगों को उम्र के किसी न किसी मोड़ पर ब्रेन -अटेक (सेरिब्रल -वैस्क्युलर -एक्सीडेंट ) डायग्नोज़ हुआ था ।
पेरेंटल डायवोर्स और ब्रेन -अटेक का परस्पर एक दूसरे से जुड़ा होना तब भी देखने को मिला जब बा -कायदा रिस्क फेक्टर्स में स्मोकिंग ,एक्सरसाइज़ ,ओबेसिटी ,एल्कोहल के सेवन आदि को भी एडजस्ट किया गया ।
२००५ में एक कम्युनिटी हेल्थ सर्वे में १३,१३४ लोगों ने शिरकत की थी .आंकड़ों के गहन विश्लेसन के बाद ही उक्त निष्कर्ष निकाले गएँ हैं .कुल सर्वे में शरीक १०.४%लोगों ने माँ -बाप को रुसवा होते देखा था इनमे से १.९ फीसद को कभी न कभी ब्रेन -अटेक से दो -चार होना पड़ा .रोग -निदान और इलाज़ चला .एज रेस और जेंडर को एडजस्ट करने पर ओड्स ऑफ़ स्ट्रोक २.२ गुना बढ़ गये .ये नतीजे रिसर्चरों ने अमरीकी जरायु -विज्ञान संघ की वार्षिक विज्ञान बैठक में प्रस्तुत किये थे .
मंगलवार, 23 नवंबर 2010
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