ग्लोबल टेम्प्रेचर्स मे राइज़ बाई ४ सेल्सियस इन ५० ईयर्स (डी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,नवम्बर ३० ,२०१० )।
जलवायु परिवर्तन के बदतर रुख इख्तियार करने पर २०६० आदि दशकों में विश्वव्यापी तापमानों में ४ सेल्सियस की वृद्ध हो सकती है .ऐसा होने पर समुन्दरों के बढ़ते जल स्टारों से पार पाने के लिए ही एक अनुमान के अनुसार २७० अरब डॉलर खर्च करने पड़ेंगे ।
कोपेनहेगेन में संपन्न गत बरस की संयुक्त राष्ट्र जलवायु -बैठक में १४० देशों की सरकारों ने ग्लोबल -तापमानों में वृद्ध की ऊपरी सीमा २सेल्सियस ही तय की थी .वर्तमान प्रक्षेपण (प्रोजेक्शन )ठीक उसका दोगुना है .यदि ऐसा होने से नहीं रोका जा सका तो आज की युवा भीड़ के जीवन काल में ही दुनिया के कई इलाकों में खाने -पीने के लाले पद जायेंगे .फ़ूड एंड वाटर सप्लाईज तहस -नहस हो जायेंगी .खाद्य और जलापूर्ति का विच्छिन्न और विघटित होना जलवायु परिवर्तन के बड़े खतरनाक नतीजे होंगे ।
चालूदशक में जिस रफ़्तार से ग्रीन हाउस गैसों के एमिशन (उत्सर्जन )में वृद्धि हो रही है उसे देखते हुए तर्क के स्तर पर २सेल्सियस ऊपरी सीमा (२सेल्सियस वार्मिंग ) की गोलबंदी का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल लगता है .विश्व्यापी तापन इस सीमा का अतिक्रमण कर सकता है .
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