गुरुवार, 11 नवंबर 2010

क्या है "न्यूक्लीयर मेडिसन "?

पीजीआई टू ट्रीट लीवर कैंसर थ्रू न्यूक्लीयर मेडिसन (ट्राई -सिटी , चंडीगढ़ ट्रिब्यून , नवम्बर ११ ,२०१० ,पृष्ठ ३ )।
न्यूक्लीयर मेडिसन :यह मेडिकल इमेजिंग की एक शाखा है जिसमे अल्पांश में रेडिओ -सक्रीय पदार्थों (रेडिओ -आइसोटोप्स )का स्तेमाल रोगों के निदान और इलाज़ दोनों में ही किया जाता है .इन रोगों में प्रमुखतय कई किस्म के कैंसर ,हृद -रोग तथा अन्य -विकार और एब्नोर्मलेतीज़ शामिल हैं .आप जानते हैं रेडिओ -एक्टिव मेटीरियल्स में मिनी स्केल पर एटोमिक एक्स्प्लोज़ंन आपसे आप ,एक स्वतय -स्फूर्त प्रक्रिया के तहत एक नियत दर से होते रहतें हैं .अल्फा ,बीटा या फिर गामा विकिरण के रूप में ऊर्जा फूटती रहती है ,इनके नाभिक के विखंडन से .
चंडीगढ़ का पीजीआईएम्ईआर (पोस्ट ग्रेज्युवेत इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल एज्युकेशन एंड रिसर्च )तथा नै -दिल्ली का अखिल -भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान लीवर कैंसर का प्रबंधन नाभिकीय चिकित्सा के द्वारा करने को तैयार हो रहा है ।
इसे 'सलेक्टिव इंटर -नल रेडियेशन थिय्रेपी कहा जाता है ।
न्यूक्लीयर मेडिसन वास्तव में 'फंक्शनल एवं मोलिक्यूलर इमेजिंग 'ही है .(प्रकार्यात्मक एवं आणविक प्रतिबिम्बन ही है ).इसके तहत प्राथिमिकता के तौर पर रिसेप्टर्स (अभि -ग्राहियों)को लोकेलाइज़ किया जाता है .बीमारीविशेष और ख़ास अंग को लक्षित किया जाता है .इस एवज़ कुछ ख़ास रेडिओ -फार्मासितीकल्स (रेडिओ -सक्रीय दवाओं ,रेडिओ -सक्रीय भेषजों )का स्तेमाल किया जाता है . आप चाहें तो इसे रेडिओ -मेडिसन भी कह सकते हैं ।
आदिनांक ऐसे मरीजों का इलाज़ रसायन चिकित्सा (किमो -थिय्रेपी )के ज़रिये ही किया जाता रहा है .जिसके अपने आवंछित पार्श्व -प्रभाव रहे आये हैं ।
अब नाभिकीय चिकित्सा विभाग हिपा -टलोजी तथा रेडिओ -डाय्ग -नोसिस का आपसी तालमेलसे एक असरकारी इलाज़ (न्यूनतम पार्श्व -प्रभाव ) आरंभ हो रहा है ।
भारतीय नाभिकीय चिकित्सा सभा का चार दिनी अधिवेशन अभी-अभी पीजीआई के तत्वावधान संपन्न हुआ है .लीवर के ऐसे मरीजों के लिए यह नाभिकीय चिकित्सा विशेष अर्थ लिए है जिनका समाधान शल्य -चिकित्सा के दायरे से बाहर चला आता है ।
इस चिकित्सा के तहत एक केथीटर के ज़रिये लीवर की कैंसर ग्रस्त कोशाओं तक माइक्रो -स्फीयर्स पहुंचाए जाते हैं .असल बात यह है इस लक्षित चिकित्सा से स्वस्थ कोशाओं को कोई नुकसानी नहीं उठानी पडती है .अलबत्ता भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की मंज़ूरी का मरीजों और नाभिकीय चिकित्सा के माहिरों को समान रूप से इंतज़ार है .रेडिओ -आइसोटोप्स का विनियमन करने वाली यही देश में एकल संस्था है .

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