गत माह ही "ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट "ज़ारी हुई थी जिसमे बतलाया गया था ,दुनिया भर में कुल कुपोषित बच्चों का ४२ % भारतवासी है .इसकी पड़ताल के लिए "क्राईयानी सीआरवाई "ने जो नौनिहालों के वृहत्तर हितों से जुडी एक गैर -सरकारी संस्था है ,एक सर्वेक्षण करवाया .पता चला नौनिहालों को ज़रूरी केलोरीज़ का आधा हिस्सा ही मिल पाता है ।
जबकि उम्र के इस सौपान में भर -पूर पोषण ज़रूरी होता है ।
भारत में फिलवक्त ३६ करोड़ पचास लाख बच्चें रहतें हैं .यह संख्या अमरीका की कुल आबादी से भी ज्यादा है .इनमे से आधे बच्चे आधा पेट भोजन करने के बाद ही सोतें हैं .यह संख्या दुनिया के पांचवें आबादी संकुल मुल्कब्राज़ील से भी ज्यादा है ।
समेकित बाल विकास योजना /सेवायें भारत सरकार ने १९७५ में आरम्भ की थी .इसका मूल उद्देश्य महिला और बालक -को की ज़रूरीयात को पूरा करना था .लेकिन कोमन -वेल्थ गेम्स की तरह ,भ्रष्टाचार का दीमक सब कुछ चट कर गया ।
मिड -डे- मील ,समेकित बाल विकास सेवायें तथा सरकारी सस्ते गल्ले की दूकाने नौनिहालों को इस दुर्दशा से बाहर ला सकती थीं .लेकिन ?यही "लेकिन" तो हिन्दुस्तान को खाए जा रहा है .लेकिन से मुक्ति कौन दिलवाए ?सी आई ए एजेंट सोनिया या चिरकुट कोंग्रेस ?
रविवार, 14 नवंबर 2010
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