कहाँ गया सारा प्रति पदार्थ ?
पहले प्रति पदार्थ की अवधारणा को समझना होगा .जब यह सृष्टि अबसे कोई १३.६ अरब बरस पहले एक आदिम अणु में जो अपने सूक्ष्म (शून्य आयतन वत )कलेवरमें सृष्टि का तमाम गोचर ,अगोचर पदार्थ -ऊर्जा एक अति -उत्तप्त सूप के रूप में छिपाए हुआ था बनी तब पदार्थ के साथ -साथ उतना ही प्रति -पदार्थ भी पैदा हो गया था .पदार्थ से यह सृष्टि बनी लेकिन प्रति -पदार्थ आज भी हमारे लिए अज्ञेय अबूझ अदृशय बना हुआ है .यही कहानी डार्क मैटर और डार्क एनर्जी की है ।
समझा जाता है मैटर (पदार्थ )ग्रेविटी के लिए और प्रति - पदार्थ एंटी -ग्रेविटी के लिए उत्तर दाई है .तभी तो यह सृष्टि अपने जन्म के बाद से ही उत्तरोत्तर फैलती विस्तारित होती चली जा रही है ।
योरपीय ओर्गेनाइज़ेसन ऑफ़ न्यूक्लीयर फिजिक्स के तत्वावधान में भौतिकी के माहिरों की एक अंतर -राष्ट्रीय टीम ने पहली मर्तबा एंटी -हाइड्रोजन का एक परमाणु (इसे एंटी -हाइड्रोजन परमाणु कहना ज्यादा समीचीन रहेगा )अल्प काल के लिए ही सही रच डाला है .संभावना बनी है प्रति -पदार्थ हमारे प्रेक्षण जगत में आ सकता है .हम प्रति -पदार्थ का अध्ययन कर सकतें हैं ।
आपको बतला -दें यह वही योरोपीय नाभिकीय शोध संघ है जो महा -मशीन लार्ज -हेद्रोंन कोलाइदर से जिनेवा की बाहरी सीमा के पास से सम्बद्ध है ।
तब क्या अब पदार्थ और प्रति -पदार्थ का तुलनात्मक अध्ययन हो सकता है ?आखिरकार एक नहीं दो नहीं ३८ एंटी -हाइड्रोजन एटम संजोये गए है भले एक सेकिंड के दसवें भाग तक ही सही ।
विज्ञान पत्रिकानेचर (साप्ताहिक )के एक आलेख में "सर्न"योरोपियन न्यूक्लीयर रिसर्च सेंटर के साइंसदानों ने लिखा है हमने वेक्यूम में (निर्वात में )न सिर्फ एंटी -हाइड्रोजन एटम्सरचे हैं इन्हें बनाए भी रखा गया है सेकिंड के दसवें भाग तक .सवाल यही है यदि सृष्टि के आरम्भ में पदार्थ के साथ -साथ प्रति -पदार्थ भी पैदा हो गया था तो वह गया कहाँ ?क्यों हमारे दृश्यक्षेत्र और प्रेक्षणों से बाहर चला आया है ।
आपको बतला दें :फोर्सिज़ कम इन पे-यरस यानी बलों के कुदरती जोड़े होतें हैं (बल युग्म ).अकेले बल का कोई अस्तित्व नहीं है .वह परिणामी बल होता है ,रिज़ल्तेंत फ़ोर्स होता है एक सिस्टम पर लगने वाले तमाम बल युग्मो का .यही न्यूटन के पहले और तीसरे नियम का निचोड़ है .पहला नियम बल की नहीं ,बल की अनुपस्थिति (एब्सेंस ऑफ़ फ़ोर्स की बात करता है .इन दी एब्सेंस ऑफ़ ए फ़ोर्स ए बॉडी आइदर मूव्स इन ए स्ट्रेट लाइन विद युनिफोर्म मोशन ऑर स्टे अटरेस्ट ।यही न्यूटन का प्रथम नियम है .
प्रत्येक कण के लिए सृष्टि में एक प्रति कण मौजूद है .सीनों -निम् है तो एन्तिनिम भी है .इलेक्ट्रोनहै तो पोजिटिव इलेक्ट्रोन (पोजीत्रोंन ,इलेक्ट्रोन विद ए पोजिटिव चार्ज )भी है .प्रोटोन के लिए एंटी -प्रोटोन है ।न्युत्रोंन के लिए एंटी -न्युत्रोंन .ओबामा है तो मिशेल भी है .
एक इलेक्ट्रोन जब एक प्रोटोन की परिक्रमा करने लगता है तब एक हाइड्रोजन एटम अस्तित्व में आता है .इसी प्रकार जब एक पोज़ित्रोंन एंटी -प्रोटोन की परिक्रमा करने लगेगा तब एक एंटी -हाइड्रोजन एटम अस्तित्व में आ जाएगा .दोनों का प्रेम मिलन घातक होगा .दोनों एक दूसरे को नष्ट कर देंगे इसलिए नदी के दो किनारों से बने रहतें हैं .सृष्टि है तो प्रति -सृष्टि भी है .कहाँ ?इसका कोई निश्चय नहीं .परमाणुओं के बन ने पर ऊर्जा मुक्त होती है क्योंकि इनके के घटकों को अनंत दूरी से (जहां से यह एक दूसरे पर आकर्षण बल नहीं डाल पाते) उठाकर इनके विद्युत् आकर्षण क्षेत्र में लाना पड़ता है .बस एक सिस्टम बन जाता है .जैसे पृथ्वी -चंद्रमा (अर्थ -मून सिस्टम ).
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