ट्रोमेटिक इवेंट्स कैन इम्पेक्ट जींस (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,नवम्बर २६ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
सदमे का असर दूर तक पीढ़ी -दर -पीढ़ी जा सकता है .मनोवैज्ञानिक और जैविक असर के अलावा आघातकारी घटनाएं हमारे जींस को भी प्रभावित कर सकतीं हैं .सदमे के असर एक से दूसरी पीढ़ी तक जा सकतें हैं ।
सितम्बर ११ और इस से भी पूर्व हिरोशिमा और नागा साकी पर बमबारी में जो बच गए उनकी सन्ततियां बहु- विधरेडियो -धर्मी विकिरण ही नहीं सदमे का खामियाजा भी उठाती आईं हैं ।
ज़ाहिर है अजन्मे बच्चे भी आघातकारी घटनाओं के उत्तर प्रभाव झेलतें -भोगतें हैं .साइंसदानों के मुताबिक़ सदमा उस रासायनिक तरीके (मिकेनिज्म )को ही तब्दील करके रख देता है जो जींस को अभिव्यक्त करता है .मेल लाइन में ये बदलाव हमेशा -हमेशा के लिए चले आतें हैं .संततियों तक जाता है जीन एक्सप्रेशन में होने वाला यह बदलाव .इस से विकास -वादी -सिद्धांत की एक बुनियादी अवधारणा पर सवालिया निशान लग गया है .
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