शाकाहारियों में हृद रोगों के लिए उत्तरदाई रिस्क फेक्टर्स का वजन कमतर रहता है .मसलन हाई -पर -कोलेस्त्रीमिया ,ट्राई -ग्लीस -राइड्स का बढा हुआ स्तर ,तथा एल डी एल कोलेस्ट्रोल उतना बढा हुआ नहीं रहता है ।
१९६१ में ही यह पता चल गया था ,९७ % कोरोनरी आर्टरी डीज़ीज़ सिर्फ शाकाहारी भोजन से मुल्तवी रखी जा सकतीं हैं ।
इसके बाद से आदिनांक इस अवधारणा को लगातार जमीन नसीब हुई है ।
२५,०० केलिफोर्निया वासियों पर दीर्घावधि तक चले (२० साला )इक अधययन के मुताबिक़ औरतों और मर्दों में मांसाहार और हृद रोगों का नजदीकी रिश्ता देखा गया है ।
और इस रिश्ते की वजह के आड़े व्यायाम नहीं आया है ।
मोटापा और तम्बाकू का सेवन भी वजह नहीं रहा है ,ज्यादा मांसाहार सीधे सीधे हृद रोगों की आनुपातिक वजह बना है ।
आज हृद रोग मृत्यु का इक प्रमुख कारण बन चुकें हैं .शाकाहार से इन्हें मुल्तवी रखा जा सकता है ।
बेशक सिदेन्तरी लाइफ स्टाइल ,स्मोकिंग ,हाई -पर -टेंशन भी इसे हवा दे रहें हैं ।
लेकिन समुचित शाकाहार उच्च रक्त चाप से भी बचाए रख सकता है .अलबत्ता शाकाहार के साथ भी दूध और अण्डों के अतिरिक्त सेवन से बचें ।
कोरोनरी आर्तारीज़ डीज़ीज़ से बचाव और प्रबंधन दोनों में ही शाकाहार अपनी भूमिका अदा करता है .एथीरो -स्केलेरोसिस को पलटा जा सकता है शाकाहार और व्यायाम से .योग नियम और ध्यान से ज़रूरी है आपके भोजन में बिना वसा और तेल से प्राप्त केलोरीज़ की मात्रा ९० % हो .फिर कुछ भी ना -मुमकिन नहीं है .इसीलिए इन दिनों जीरो -आयल कुकिंग की अवधारणा जमीन तलाश रही है ।
इसीलिए पोषण विज्ञान के माहिर इन दिनों सफ़ेद चावल की भी ऐसी किस्म तैयार कर रहें हैं जिसमे तमाम गुण ब्राउन राईस के हैं ,स्वाद और पोषण भरपूर है ।
१९४७ में भी ड्यूक विश्विद्यालय के रिसर्चरों ने चावल की इक ऐसी किस्म तैयार की थी जिसमे वसा और प्रोटीन दोनों कमतर थे .यह धमनी रोग से बचाव का अच्छा ज़रिया बना था ।
इन दिनों जीवन शैली में बदलाव इक बचावी चिकित्सा के रूप में लोकप्रिय हो रहा है .
रविवार, 6 मार्च 2011
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