व्हाट वुड बी दी अल्टि -मैट फैट ऑफ़ दी यूनिवर्स ?
हो सकता है सृष्टि कभी भी नष्ट न हो लेकिन इक बात तय है ,आज तो अन्तरिक्षीय पिंड हम ग्रहों ,सितारों और नीहारिकाओं (गेलेक्सीज़ )के बतौर अपने प्रेक्षण में ले पारहें हैं वे कल नहीं होंगें ।
काल के सुदूर अंतराल में हमारी नीहारिकाएं छिटक कर टूट फूट जायेंगी .इक ठंडी आहिस्ता आहिस्ता होती लम्बी मौत के आगोश में चली आएँगी हो सकता है बिग बैंग का विलोम ,प्रबल गुरुत्वीय संकोचन इन्हें लील जाए ।
सब कुछ डार्क एनर्जी की प्रकृति पर निर्भर करता है ,क्या हो सकता है क्या नहीं ।
इक अबूझ बल /ताकत के बतौर डार्क एनर्जी गुरुत्व के खिलाफ काम करती है ,यही सृष्टि का बड़े पैमाने पर व्यवहार और नियति तय करेगी .
कल तक सृष्टि विज्ञान के माहिर यही समझते आये थे ,सृष्टि के विस्तार की रफ़्तार रफ्ता रफ्ता कम हो रही है ,गुरुत्वीय ब्रेक काम कर रहा है ।
लेकिन फैसला सृष्टि का मॉस -एनर्जी घनत्व (मॉस -एनर्जी डेंसिटी ) करेगी .द्रवय्मान (मॉस )और ऊर्जा इक ही चीज़ के दो पहलू हैं इसीलिए दोनों का घनत्व भी सृष्टि -विज्ञानी इक साथ ही कूतते हैं ,कयास लगातें हैं ।यही सृष्टि का भी घनत्व कहलाता है .
दो संभावनाएं हैं :
(१)यदि यह मॉस -एनर्जी डेंसिटी इक क्रांतिक मान (क्रिटिकल वेल्यु )से ज्यादा है तब गुरुत्व की डोर सृष्टि के विस्तार को थाम लेगी ,प्रबल गुरुत्व में सब कुछ दबता कुचलता चला जाएगा ,ए बिग क्रंच कुड देन बी दी फैट ऑफ़ दी यूनिवर्स .ऐसे में इक आंतरिक विस्फोट (ए फायरि आल एनिहिलेटिंग इम्प्लोज़ंन )सब कुछ को फिर से इक हॉट सूप में बदल देगा ,जैसा बिग बैंग के वक्त था सृष्टि का स्वरूप ,वैसा ही कुछ कुछ ।
(२)लेकिन यदि सृष्टि का क्रांतिक घनत्व मान इक क्रांतिक मान के बराबर या उससे कमतर रहता है ,तब सृष्टि का (वास्तव में अन्तरिक्ष का )विस्तार ज़ारी रहेगा .अलबत्ता गुरुत्व का दूरी के साथ छीजना एक्सपेंशन की रफ़्तार को थोड़ा कम ज़रूर करेगा .सृष्टि का इस सीनारियो में हश्र होगा इक 'बिग चिल 'के रूप में .इट विल बी ए लेंग्थी कोल्ड डेथ .
फिलवक्त रिसर्च का इशारा इक फ्लेट यूनिवर्स की ओर है यानी घनत्व मान ठीक क्रांतिक मान के बराबर हो सकता है .यानी शाशवत विस्तार सृष्टि का ज़ारी भी रह सकता है ,हालाकि मॉस -एनर्जी का कुछ हिस्सा हम रेखांकित नहीं कर पारहें हैं ,हमारे प्रेक्षणों से बाहर बना हुआ है ,हम इसे लोकेट नहीं कर पारहें हैं जो फ्लेट यूनिवर्स की हिमायत के लिए ज़रूरी है .(ज़ारी ...)
सोमवार, 7 मार्च 2011
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