मनुष्यों को इस मामले में इक दम से अलग विशिष्ठ माना समझा जा सकता है क्योंकि काफी तादाद है ऐसे मेल प्राई -मेट्स की जिनके पेनिसिज़ बम्पी (बाउन्सी,अन -इविन ,सतह पर नुकीले उभार लिए हुए )हैं ,माउस में भी ऐसा ही है ।
विकास क्रम में प्राकृतिक चयन के तहत कई पीढ़ियों के अंतराल पर प्राणी प्रजातियाँ कई चारित्रिक विशेषताएं खो देतीं हैं ,वो जिनका कोई उसे कोई लाभ नहीं मिल पा रहा था ,बल्की सर्वाइवल और प्रजनन दोनों में ही जो बाधा बनी हुईं थीं .इनके स्थान पर ऐसे गुण विकसित होतें हैं जिनका कोई फायदा होता है .मसलन ज्यादा बच्चे पैदा करने का गुण जो आसानी से आगे भी आइन्दा आने वाली संतानों को थमाया जा सकता है .मनुष्योंमे ऐसा करोड़ों सालों में होता है .इसीलिए चिम्पांजी हमसे लुक्स में भी जुदा हैं ,व्यवहार और बुद्धि तत्व में भी ।
विमर्श का विषय यह भी रहा है ,आखिर स्पा -इन्स का मकसद क्या है ?इक विचार के अनुसार इनका स्तेमाल स्पर्म प्रतियोगिता में होता है .यदि नर चिम्पांजी का लक्ष्य अपनी संगनी को गर्भवती बनाना है ,पहले वह यह सुनिश्चित करेगा कहीं मादा चिम्पांजी के पहले यौन साथी के शुक्राणु (स्पर्म )तो उसके प्रजनन तंत्र में बकाया नहीं हैं .बम्पी पेनिस स्पर्म के सफाए में मददगार साबित होता है ।
लेकिन इस मामले में विमर्श बहुत ही कम हुआ है ,मनुष्यों को अपेक्षाकृत बड़े आकार के दिमाग का लाभ आखिर क्यों मिलता रहा है ?
जिस दूसरे स्विच की बात हमने पहली पोस्ट में की थी जिसका जीव विज्ञानी विश्लेषण करते रहें हैं वह दिमाग के आकारके विस्तार से ही ताल्लुक रखता है .
जीनोम कम्पेरिज़ंस (जीनोम्स की तुलना करने से )जीव विज्ञानियों को पताचला है ,मनुष्यों में डी एन ए ह्रास न्युरोंस के गेन्स (न्युरोंस की संख्या में इजाफा )के रूप में सामने आया है .आपको याद होगा कई स्विच मनुष्यों में विलुप्त हो गए थे ।
विकास क्रम में इक स्विच की अनुपस्थिति ने दिमाग को आकार में बड़ा होने का मौक़ा दिया जो इक लाभ का ट्रेट साबित हुआ .
हमारे आरंभिक पुरखे शायद सेंसरी व्हिस्कर्स भी लिए रहे हों ,पीनाइल स्पा -इन्स भी ,लेकिन इनके दिमागभी अपेक्षाकृत छोटे रहें होंगें ,विकास क्रम में व्हिस्कर्स और स्पा -इन्स विलुप्त हो गए .क्षति -पूर्ती के बतौर दिमाग आकार में बड़े हो गए .यही वह घडी थी ,विकासिक सौपान था ,जब चिम्पांजी हमसे छिटक कर अलग हुए .ऐसा संभवतय अब से ५०-७० लाख वर्ष पूर्व हुआ .लेकिन यह सब हम मनुष्यों से नीयेंदर -थाल्स के अलग होने से पहले ही हो गया था ।
हम जानतें हैं हमारी ही तरह नीयेंदर -थाल्स के दिमाग भी आकार में बड़े रहें हैं ,इनमे भी संभवतय पीनाइल स्पा -इन्स नहीं थे ।
आज भी नीयेंदर -थाल्स जीनोम के अंश हममे दिखलाई दे जातें हैं .लगता है हममे और नीयेंदर -थाल्स में बेटी -रोटी का रिश्ता रहा है ,मेटिंगहुई है .लेकिन चिम्प्स हमसे जुदा हैं .दे हेव बम्पी पेनिसिज़ .देयर पेनिसिज़ हेव स्पा -इन्स .
गुरुवार, 10 मार्च 2011
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