गुरुवार, 10 मार्च 2011

हाव दी ह्यूमेन पेनिसिज़ लोस्ट इट्स स्पा-इन्स ?(ज़ारी ...)

इसे लाईट बल्ब और स्विचिज़ की मिसाल से समझा जा सकता है .यहाँ लाईट बल्ब को जीवन इकाइयों की तरह तथा स्विचिज़ को नियंत्रक डी एन ए सिक्वेंसिज़ की तरह माना समझा जा सकता है .(गत पोस्ट में जिस रेग्युलेटरी रीजन की बात आई थी उसी की व्याख्या है यह ).
अब मान लीजिये कोई बल्ब है ही नहीं तब स्विचिज़ लाईट ऑन ही नहीं कर सकेंगें ।
अब मान लीजिये केवल इक बल्ब लेकिन स्विचिज़ पांच हैं .जो इस अकेले बल्ब को अलग अलग समय पर अलग अलग जगह से ऑन कर सकतें हैं .अब मान लीजिये इक स्विच को हठा लिया जाए ,बल्ब अभी भी काम करेगा चार जगहों से इसे ओपरेट किया जा सकेगा .बेशक पांचवी जगह अब खाली रहेगी ।
इस अध्ययन में जीव विज्ञानियों ने दो ख़ास स्विचिज़ को खंगाला है .स्विच की सूचना पहले तो चिम्पांजी के जीनोम से जुटाई गई फिर इसे इक रिपोर्टर जीन से नथ्थी कर दिया गया .यह इक ऐसी जीन थी जिसके असर को साइंसदान लगातार दर्ज़ कर सकते थे ,जैसे जैसे ओर्गेनिज्म विकसित होती है वैसे ही वैसे .उसी के साथ साथ इसे ट्रेक किया गया .
अब इस रिपोर्टर जीन को इक माउस एग में इंजेक्ट कर दिया गया यह पता लगाने के लिए ,स्विच क्या करता है ।
इक मामले में पता चला ,वह स्विच जो मनुष्यों में विकासिक कालक्रम में विलुप्त हो गया था ,वह एंड्रोजन रिसेप्टर को चालु करता है ठीक उस जगह पर जहां पर सेंसरी (एन्द्रिक )व्हिस्कर्स चेहरे पर उग आतें हैं तथा स्पा -इन्स पेनिस में पनपने लगते हैं .

माइस(माउस का बहु वचन यानी चूहे )तथा कई और स्तन पाइयों में ,मेमल्स में ,यह दोनों चारित्रिक विशेषताएं (करेक्टर -स्टिक्स )मौजूद हैं जबकि हम मनुष्यों में नदारद हैं ।
यह स्विच इक ख़ास जीन की अभिव्यक्ति (एक्सप्रेशन )को नियंत्रित करता है जिसकी इन संरचनाओं के निर्माण में ज़रुरत पडती है ।
अब यदि आप इस जीवन इकाई को नष्ट करदें -यानी बल्ब को ही तोड़ दें,जैसा माउस जेनेटिक्स के मामले में किया जा चुका है ,तब न तो व्हिस्कर्स उगेंगें उतना परिमाण में न ही पीनाइल स्पा -इन्स पनपेगें।
बेशक मनुष्यों ने लाईट बल्ब को तो बचाए रखा है ,एंड्रोजन रिसेप्टर्स (एंड्रोजन अभिग्राही )भी हैं हम मनुष्यों में लेकिन ये व्हिस्कर्स और पीनाइल स्पा -इन्स (लैंगिक स्पा -इन्स )नहीं बनातें हैं ।
चिम्पांजी में भी स्माल सेंसरी व्हिस्कर्स मौजूद हैं लेकिन उतने साफ़ -साफ़ दिखलाई नहीं देतें हैं ,मुखरित नहीं हैं ,जितने चूहों और बिल्लियों में दिखलाई देतें हैं ।
कुलमिलाकर हम मनुष्योंमे इक स्विच गायब है , ,कमी बेशी है इक स्विच की हमारे जीनोम में ,जीवन इकाइयों के क्रम और पूरे नक्से में ,यदि यह होता तो पीनाइल स्पा -इन्स और सेंसरी व्हिस्कर्स को ऑन करदेता .लेकिन हमारा प्राइमेट सखा चिम्पांजी इस स्विच से लैस है इसीलिए हममें और उनमे ये अंतर बरकारार हैं .(ज़ारी ...)

कोई टिप्पणी नहीं: