रविवार, 6 मार्च 2011

विहंगावलोकन :व्हाट इज डार्क एनर्जी ?

इस सृष्टि में सितारों और दूसरे दृश्य पिंडों के रूपं में जितना पदार्थ मौजूद है हकीकत में उसकी मात्रा इससे (इस ज्ञात पदार्थ से )कहीं ज्यादा है ।
यही अदृशय द्रवयमान (मॉस )"डार्क मैटर"है .अलबत्ता यह स्वयं किस चीज़ का बना है वह अभी अनुमेय ही है ,ज्ञात नहीं है ।
कयास लगाया गया है ,यह 'मेसिव कोम्पेक्ट हैलो ओब्जेक्ट्स '(एम् ए सी एच ओ यानी माचो )की शक्ल लिए हो सकता है .डार्क प्लेनेट लाइक बॉडीज (घना ,गहरा ग्रहों जैसा ,डार्क पदार्थ हो सकता है )या फिर वीकली इंटे -रेक्तिंग मेसिव पार्तिकिल्स के रूप में भी हो सकता है .यानी डब्लू आई एम् पी एस (विम्प्स )की शक्ल लिए हो सकता है .विम्प्स ऐसे मनोरम कण हो सकतें हैं जो साधारण ,गोचर पदार्थ का नोटिस ही नहीं लेतें हैं ,इंटे -रेक्ट नहीं करते हैं ऑर्डिनरी मैटर से .न्यूट्रिनो ऐसा ही इक कण है .लिटिल न्यूट्रल पार्टिकिल विद लिटिल और नो मॉस एंड नो चार्ज .
नीहारिकाओं का झुण्ड बनाकार समूह में विचरना(स्पिन एंड रोटेशन ),मोशन ऑफ़ गेलेक्सीज़ इन क्लस्टर्स डार्क मैटर की मौजूदगी की और संकेत करता है .इनकी द्रुत गामी गति की मौजूदा दृश्य पदार्थ की अनुमित मात्रा से व्याख्या नहीं की जासकती है .इनकी बेहद की गति इस और इशारा है ,सृष्टि में और भी द्रव्यमान मौजूद है जो हमारी नजर से ओझल बना हुआ है ।
यदि प्रेक्षण आधारित सभी अनुमितडार्क द्रवयमान(डार्क मैटर डिड -यूज्ड फ्रॉम ओब्ज़र्वेशन )भी इस गणना में शामिल कर लिया जाए तो भी सृष्टि का अनुमित घनत्व (डेंसिटी ऑफ़ दी यूनिवर्स ) उतना नहीं है जो सृष्टि के उद्भव और विकास से जुडी इवोल्यूशन थिय्रीज़ की व्याख्या कर सके ।
इसी का हल निकालने के लिए खगोल विज्ञान के माहिरों ने '"डार्क एनर्जी "की अवधारणा रखी है .इसे इक ऐसे बल के रूप में बूझा जा सकता है जो गुरुत्व की खिलाफत करता है ।
डार्क एनर्जी इज ए फ़ोर्स देट काउंट -अरेक्ट्स ग्रेविटी एंड काज़िज़ दी यूनिवर्स टू एक्सपांड फास्टर .लेकिन इसकी असली प्रकृति ,बुनावट और बनावट अभी अनुमानों के भरोसे ही है ,अन -अनुमेय ही है आदिनांक डार्क एनर्जी .

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