जीन थिरेपी रेज़िज़ होप ऑफ़ एड्स क्युओर (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मार्च २ ,२०११ ,मुंबई ,पृष्ठ २१ )।
एड्स से पार पाने के लिए साइंसदानों ने पहली मर्तबा आनुवंशिक इंजीनियरिंग की मदद सेएड्स - मरीजों में ऐसी ब्लड सेल्स पनपाने की कोशिश की है जो 'एच आई वी '(एड्स विषाणु )का न सिर्फ प्रति -रोध करतीं हैं इसे बेअसर भी कर देतीं हैं ।
बेशक अभी यह कहना जल्दबाजी होगी यह एड्स का समाधान है ,इक नया इलाज़ है ।
अलबत्ता यह मुमकिन है निरापद भी .शोध के यही संकेत हैं ।
दरअसल चार वर्ष पूर्व बर्लिन में इक एड्स मरीज़ को इक ऐसे रक्त दाता का खून चढ़ाया गया जिसे कुदरती तौर पर एच आई वी एड्स के खिलाफ इम्युनिटी हासिल थी .कमाल की बात यह रही यह मरीज़ अच्छा हो गया ।
यह पहली मर्तबा हुआ साइंसदानों ने इक जीन को खून से निकाल बाहर कर मरीज़ को दुबारा वही खून (तब्दील की गई कोशिकाओं के साथ )मुहैया करवाया है।
इक और रणनीति के तहत इक नया जीन रक्त में शामिल करवाया गया ,इक और जीन की एक्टिविटी कम कर दी गई .लेकिन यह एच आई वी एड्स के खिलाफ कारगर नहीं रही .
बुधवार, 2 मार्च 2011
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