इंसुलिन इक प्रोटीन हारमोन है जो अग्नाशय (पेंक्रियाज़ )की बीटा कोशिकाओं द्वारा तैयार किया जाता है .इसीलिए इसे पेंक्रियेतिक हारमोन भी कह दिया जाता है यही हमारे रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर का विनियमन करता है ।
लेटिनभाषा के शब्द इंसुला का अर्थ होता है आइलैंड आफ्टर दी आइलेट्स ऑफ़ लेंगर- हैंस.
इंसुलिन ही हमारे भोजन को कोशिकाओं के लिए ज़रूरी ईंधन में बदलता है ।
१८६९ में इक जर्मन साइंसदान पाल लेंगर हेंस ने बीटा कोशिकाओं का पता लगाया .पता चला आइस्लेट्स बीटा कोशिकाओं में पांच प्रकार की कोशिकाएं इंसुलिन बनातीं हैं ।
अल्फा कोशिकाएं ग्लुकागोंन बनातीं हैं .डेल्टा कोशिकाएं सोमा -टोस्तेतींन ।
जब हमारा शरीर आइस्लेट्स में स्थित अपने ही बीटा कोशिकाओं पर खुद हमला करने लगता है (अपने पराये की पहचान भूलकर )तब व्यक्ति मधुमेह ग्रस्त हो जाता है इसीलिए इसे ऑटो -इम्यून -डीज़ीज़ भी कहा जाता है ।मेटाबोलिक डिस -ऑर्डर भी .
लंगर हेंस आर इम्पोर्टेंट फॉर रेग्युलेटिंग दी अमाउंट ऑफ़ सुगर (ग्लिकोज़ )इन दी ब्लड ।
ब्लड सुगर का उच्च सांद्रण (हाई -कंसेन्ट्रेशन ऑफ़ ब्लड सुगर )इंसुलिन स्राव को प्रेरित (स्तिम्युलेट )करता है भोजन के बाद यही सांद्रण बढ़ जाता है .यही ब्लड ग्लूकोज़ लेविल को ठिकाने लगाता है कम करता है .इसी हारमोन की कमी बेशी से व्यक्ति मधुमेह ग्रस्त होजाता है .फलस्वरूप पहले खून में और फिर पेशाब में शक्कर बड़ी मात्रा में आने लगती है ।क्योंकि इस हारमोन की कमी होने पर कोशिकाएं ग्लूकोज़ ग्रहण नहीं कर पातीं हैं .ऐसे में यकृत की कोशिकाएं (सेल्स इन दी लीवर )न तो ग्लाईकोगन का भंडारण कर पातीं हैं और न ही उत्पादन .यही डायबिटीज़ मिलाइतास यानी मीठा पेशाब है .
इंसुलिन इक प्रोटीन है जिसका आणविक भार (मोलिक्यूलर वेट )५७०० है .
मंगलवार, 1 मार्च 2011
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