मंगलवार, 1 मार्च 2011

यो -यो डाइटइंग क्या है ?क्या समझ लिया गया है यो -यो डाईट -अर्स का दुखड़ा (ज़ारी ...)

कुछ लोग जब डाइटिंग करतें हैं उनका वजन इक दम से घट जाता है लेकिन इस रेजिमेंन से ज़रा सा ही हटते ही वह पूर्व -वत पहले जितने ही वजनी हो जातें हैं .कई मर्तबा और भी ज्यादा .यही है यो -यो डाईट -अर्स का दुखड़ा ।
जिसकी व्याख्या के लिए अब इक प्रोटीन एंजियो -तेनसिन साइंसदानों के हाथ लगी है .अब तक इस प्रोटीन और मोटापे के बीच किसी भी प्रकार के अंतर -सम्बन्ध का इल्म साइंसदानों को नहीं था ।
बेशक अभी भी इसकी कोई व्याख्या साइंसदान करने में असमर्थ हैं लेकिन साथ ही उन्हें ऐसा ज़रूर लगता है इस अन्वेषण के आधार पर आगे चलके इक ऐसा ब्लड टेस्ट ज़रूर बूझ लिया जाएगा जो यह बतला सकता है यो -यो डाइटिंग से ख़तरा किसे ज्यादा है .कौन हैं वह लोग जिनका वजन इक पेंडुलम की मानिंद ऊपर नीचे होता रहता है .झूलता रहता है दो एक्स्ट्रीम्स के बीच ।
अपने अध्ययन में रिसर्चरों ने ऐसे ९६ लोगों के खून का विश्लेषण किया है जिनका वजन पहले हीयो -यो डाइटिंग से कम हो चुका है .इनमे से आधे लोग अपना नया वजन बनाए रखने में कामयाब भी रहें हैं .कई मामलों में और भी ज्यादा ये अपना वजन कम कर सकें हैं .लेकिन बाकी फिर से मुटिया चुकें हैं .पता चला इन बाद वालों में से ८०%के खून में एनजीओ -तेंसिंन कंवर्टिंग एंजाइम का स्तर ऊंचा था ।
हालाकि यह प्रोटीन कैसे और किस मिकेनिज्म के तहत यह सब करवाती है यह साफ़ नहीं है केवल कयास भर है ,हो सकता है यह उन चंद हारमोनो के काम में दखल देती हो जो हमें भरा पेट होने का एहसास करवातें हैं .शरीर से एक्स्ट्रा फैट तथा जल का भंडारण करवाकर ।
अलबत्ता इक बात साफ़ है 'यो -यो डाइटिंग' इसके साथ तेज़ी से दो धुर सिरों पर घटता -बढ़ता वजन दिल की बीमारियों से होने वाली मौत के खतरे के वजन को दोगुना करदेती है .इस खतरे में हार्ट अटेक ही शामिल है तथा किसी और वजह से अकाली मौत मरने का ख़तरा भी शामिल है ।
ब्रेन अटेक तथा डायबिटीज़ से भी यो-यो डाइटिंग का रिश्ता जुड़ा रहा है .यो -यो डाइटिंग हमारे रोग प्रति -रोधी तंत्र का भी शमन करती है .ऐसे में रोग संक्रमण का ख़तरा सहज ही बढ़ जाता है ।
बेहतर यही है इस दुश्चक्र से बाहर ही रहें ऐसी बेहूदा डाइटिंग करनी ही क्यों है ?

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