सोमवार, 7 मार्च 2011

विहंगावलोकन :सृष्टि में डार्क एनर्जी का ही प्रभुत्व है .

माहिरों के अनुसार सृष्टि के पदार्थ -ऊर्जा (द्रव्यमान -ऊर्जा ,मॉस -एनर्जी )घनत्व में डार्क एनर्जी की कुल हिस्सेदारी ७०%है जबकि सितारों और सितारों के बीच के अंतर -तारकीय माध्यम (इंटर -स्टेलर मीडियम )में परमाणु आधारित पदार्थ की भागेदारी मात्र ५%ही है .इसप्रकार सृष्टि में डार्क एनर्जी का ही बोलबाला है ।
इस डार्क एनर्जी की अवधारणा तब सामने आई ,जब दूरदराज़ की नीहारिकाओंमे सुपर्नोवाओं का अध्ययन किया गया .इनकी आभासी चमक (दीप्ति ,अपरेंट ब्राइटनेस)का जायजा लिया गया .इसी चमक का स्तेमाल इनकी अवस्थिति (दूरी सुदूर नीहारिकाओं में )का पता लगाने के लिए किया गया ।
अब इनके रेड शिफ्ट्स का मिलान इनकी होम गेलेक्सीज़ में पाए जाने वाले रेड शिफ्ट से की गई (जब सितारे किसी प्रेक्षक से दूर जाते हैं ,उसकी स्पेक्ट्रमी में रेखाए अधिक लाल दिखलाई देतीं हैं ,लाल रंग की और खिसकी रहतीं हैं .यही रेड शिफ्ट कहलाता है जो विस्तार शील सृष्टि का बोध करता है क्योंकि ज्यादा तर सितारे अपनी स्पेक्ट्रमी में रेड शिफ्ट ही दर्शातें हैं ).इससेसितारों की अपनी जीवन अवधि में उस रफ़्तार का इल्म हुआ जिससे सृष्टि फ़ैल रही है .विस्तार पा रही है ॥
माहिरों को पता चला सृष्टि का विस्तार और विस्तार की रफ़्तार लगातार बढ़ रही है .एक्सपेंशन ऑफ़ डी यूनिवर्स इज एकसलारेटिंग .
इक अदृशय ब़ल इस तेज़ फैलाव के लिए उत्तरदाई जो गुरुत्व का विरोध कर रहा प्रतीत होता है .यही बल डार्क एनर्जी कहलाया है ।
अलबर्ट आइन्स्टाइन ने भी अपने साधारण सापेक्षवाद सिद्धांत में इक कोस्मोलोजिकल कोंस्तेंट की चर्चा की है .
डार्क एनर्जी का अस्तित्व स्रष्टि में जो मॉस -एनर्जी मिस्सिंग है ,उसकी भी व्याख्या प्रस्तुत करदेता है .उसका लेखा जोखा भी देदेता है जो सृष्टि को फ्लेट माने जाने के लिए भी ज़रूरी है .सृष्टि की संभावित नियतियों को भी रूपायित करती है यही डार्क एनर्जी जैसा ,हम पूर्व पोस्ट में पढ़ आयें हैं .(ज़ारी....).

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