शनिवार, 5 मार्च 2011

मांसाहार बनाम शाकाहार :विहंगावलोकन .

मांसाहार पशु -उत्पाद होने के नाते कोलेस्ट्रोल लिए हैं जो देर सवेर हृद रोगों की वजह बन जाता है .दूध भी इक पशु उत्पाद है इसीलिए कोलेस्ट्रोल और ट्राई -ग्लीस -राइड्स लिए है .अलबत्ता सपरेटा /स्किम्ड /लाईट मिल्क से चिकनाई अलग कर दी जाती है ,इसीलिए टोंड,डबल टोंड ,लाईट मिल्क आज चलन में हैं सेहत के लिए निरापद /अच्छे समझे जातें हैं ।
मांसाहार लगातार जीवन शैली रोगों की वजह बन रहा है जिसमे हाई -पर -टेंशन ,कोरोनरी -आर्ट -रीज दीजीज़ (परि-ह्रदय -रोग )के अलावा कैंसर भी शामिल है ।
मांसाहार बेशक अव्वल दर्जे के प्रोटीन मुहैया करवाता है ,मांसाहारियों में अकसर खून की कमी भी कम ही देखी जाती है लेकिन रोग- प्रवण है मांसाहार ,रोगों की और ले जाता है .इसीलिए अब शाकाहार की दुनियाभर में वकालत की जा रही है ।
शाकाहार में तमाम दालें,फलियाँ ,बीन्स ,सीड्स ,खाद्यान्न ,फल ,तरकारियाँ ,सलाद शामिल हैं जो इक तरफ प्रोटीन दूसरी तरफ खाद्य रेशे तीसरी तरफ एंटी -ओक्सिदेंट्स मुहैया करवातें हैं .
तमाम गहरे रंग के फल और तरकारियाँ एंटी -ओक्सिदेंट्स लिए हैं जो शरीर में कोशिकाओं की टूट फूट /क्षय /डिके को मुल्तवी रखतें हैं .
रेशे इंटेस -टा -इन्स (आँतों )द्वारा कोलेस्ट्रोल की ज़ज्बी को रोके रखते हैं .कब्ज़ (कोस्तिपेशन ),पाइल्स ,भगंदर (एनल फिशर्स ),कैंसर से बचाव करतें हैं ।
वह शाकाहार जो केलोरी डेंस नहीं है इक तरफ मोटापे से बचाए रहता है दूसरी तरफ मधुमेह ,हाई -पर -टेंशन ,आर्थ -राइटिस जैसे आम होते रोगों से .जीवन शैली रोगों से बचे रहने के लिए इन दिनों शाकाहार को ही सर्वोत्तम आहार माना समझा जाता है ।
अलबत्ता थोक के भाव घी दूध ,अन्य डैरी-उत्पादों का सेवन भी निरापद नहीं है .तेल -घी में केलोरीज़ का अपना गणित है ,म्युफा हो या प्युफा या फिर सेच्युरेतिद ओइल्स सभी इक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं इन दिनों जीरो आयल कुकिंग का चलन है .सेहत और स्वाद के लिए मसाले चाहिए चिकनाई नहीं .मसाले भारतीय कैंसर -रोधी हैं ,चिकनाई नहीं .

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