शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

प्लास्टिक कचरे के पुनर -चक्रण से बनेगा एक उपमहाद्वीप ..

प्रशांत महासागर के वक्ष पर इन दिनों जो ४४ मिलियन किलोग्रेम (चार करोड़ चालीस लाख किलोग्रेम )कचरा हिच्खोले खा रहा है बोब अपकर रहा है उसके पुनर चक्रंन से एक कायम रह सकने लायक उपमहाद्वीप तैयार कर लेने का मंसूबा नीदरलैंड के रिसर्चरों की एक टीम ने बना लिया है ।

१०0, ०० वर्ग किलोमीटर क्षेत्र होगा इसका .उत्तरी प्रशांत के ग्यरे(जायरे )में कचरे पर नजर पड़ते ही एट स्पोट इसे होलो फ्लोटिंग ब्लोक्स केहवाले कर पुनर -चक्रंन कर लिया जाएगा ।
महाद्वीपके ५ लाख वासिंदों की बिजली पानी आदि के लिए ज़रूरी ऊर्जा सौर और वेव -एनर्जी से हासिल की जायेगी ।
तीन मकसद होंगें इस योजना के :-
(१)महा -सागर के वक्ष पर तैरते कचरे किसफाई (२ )कायम रह सकने लायक (सस्टेनेबिल )एक नया आवास ,नया(३) भू -क्षेत्र
कृषि कार्य केलिए अलग से भूमि छोड़ी जायेगी .ताकि तमाम्वासिंदों को रोटी -पानी नसीब हो सके ।इटली के वेनिस सा खूबसूरत आकार में हवाई जितना होगा यह नया घरोंदा .
सन्दर्भ -सामिग्री :-सून ,ए हवाई -सा -इज्द आइसलैंड मेड फ्रॉम प्लास्तिक्वेस्ट (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जुलाई ०१ ,२०१० )

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

इ वर्ड वेरिफेकशनवा काहे ना हटा लेते हो

जानदार और सानदार जानकारी,राम राम भाई जी
आपकी प्रस्तुती ने मन को मोह लिया है । इस सानदार प्रस्तुती के लिए आभार ।


सुप्रसिद्ध साहित्यकार और ब्लागर गिरीश पंकज जी का इंटरव्यू पढने के लिए यहाँ क्लिक करेँ >>>
एक बार अवश्य पढेँ

बेनामी ने कहा…

SETTING मे जाओ COMMENTS और अब इ जो WORD VERIFICATION है इसे डिसेबल करने के बाद SAVE कर दो ।
का बबुआ समझ मे आया कि नाही,अरे टिप्पनियाने मे माजा ना आ रहा है
गुस्ताखी माफ करेँ