ज़ारी ..
(अवसाद से राहत के लिए ...)
ब्रीदिंग:योग का अनुशाशन वाक्य है ,आप अपने मन पर काबू नहीं रख सकते लेकिन सांस की आवा- जाही पर निगाह टिका सकतें हैं .विनियमन कर सकतें हैं ब्रीदिंग का .सुबह उठते ही बिस्तर छोड़ने से पहले बस कुछ लम्बी लम्बी डीप-ब्रेथ गहरी श्वास खींचिए ,स्ट्रेचिंग सेभी पहले ,पड़े पड़े बिस्तर पर अंगडाई लेने से भी पहले ऐसा ज़रूर कीजिये .जानतें हैं ऐसा करने से आपका जैविक तंत्र आपकी काया आपका तन मन,आपका सिस्टम स्ट्रेचिंग के लिए तैयार हो जाता है .श्वास को अन्दर खींचने के बाद कुछ देर तक अन्दर ही रोकिये .यदि ५ सेकिंड श्वास खींचने में लगायें हैं तो १० सेकिंड्स तक श्वास अन्दर ही रोकिये निस्श्वास से पूर्व ।
आपके बेलगाम विचारों ,रेज़ रियेक्शंस को प्राणायाम काबू में रखने में असरदार सिद्ध होगा .कभी भी कहीं भी आज़माइश कर देखिये .बस थोड़ा सा वक्त निकालिए प्राणायाम के लिए .नेत्र मूँद लीजिये ,१०-१५ लम्बे लम्बे सांस अन्दर खींचिए ,ध्यान अपने नथुनों पर टिकाइए .बस एक बार में इतना ही तो करना है .बेशक कई मर्तबा ऐसा कर सकतें हैं ।
एक्सर -साइज़ :सुबह उठते ही व्यायाम की शुरू आत की जा सकती है .अलबत्ता घर का कोई एक कौना अपने लिए तलाशिये कसरत के लिए ।
भुजंग -आसन :इस आसन के लिए पेट के बल लेट जाना है .चेहरा ज़मीन की ओरही रहेगा .हथेलियों को ज़मीन पर टिकाये टिकाये पीठ की ताकत से अपने शरीर के अग्र भाग को जितना हो सके ऊपर उठाना है .ऊपर की तरफ ही देखना है .बस इसी क्रम को दोहराना है अपनी सामर्थ्य ओर शरीर के मिजाज़ के अनुरूप (अपने शरीर के बारे में सिर्फ आप ही जानतें हैं .).भुजंग आसन आपकी रीढ़ की ओर रक्त प्रवाह बढ़ाकर कमर को मजबूती देता है .इट अल्टीमेटली रेवस अप यूओर नर्व्ज़।
शलभ -आसन :भुजंग के समान इसमें भी पेट के बल ही लेटना है लेकिन लेकिन सिर्फ बारी बारी एक बार में एक ही टांग को धीरे धीरे ऊपर छत की ओर उठाना है .थोड़ी देर वही रोकना है .ओर बस फिर टांग को पूर्व स्थिति में लाकर यही क्रम दूसरी टांग के लिए भी दोहराना है .यह आपकी जंघाओं की पेशियों को ताकत देता है ।
चक्र -आसन :दोनों पैरों में दूरी बनाते हुए खड़े हो जाइए .लम्बी सांस खींचिए ओर अपने दोनों हाथ नितम्बों पर टिकाये पीछे की ओर झुकते चले जाना है .अभ्यास करना है ज़मीन को छू लेने का .तीर कमान की डोरी सा ,धनुष सा तन जाना है .अब इसका विलोम यानी आगे की ओर झुकते हुए अपने पैर के अन्गुष्ठों(बिगर टोज़)को छूने का अभ्यास करना है .इस दरमियान सांस बाहर छोडनी है ।
अवसाद से छुटकारा दिलवाने में यह कसरत ,आसन, विधाई भूमिका निभाता है .आप अपने में ताकत अनुभव करतें हैं प्रत्यंचा सा तानते हुएखुद को ओर आगे झुकना समर्पण भाव है समझौता है जीवन की विषमतर स्थितियों को अपनाने अपना बनाने का .विषम स्थितियों से घबराना कैसा ?
डाईट:सारा खेल आज खुराख से ही तो जुड़ा है .जैसा अन्न वैसा मन .यु बिकम व्हाट यु ईट .यु बिकम व्हाट यु ड्रिंक ।अन्न से ही जुडी है आपके मानसिक स्वास्थ्य ,सम्पूर्ण स्वास्थ्य की नव्ज़.
आप अवसाद की स्थिति में जो कुछ खातें हैं उसका अनुकूल ओर विपरीत दोनों तरह का प्रभाव पड़ सकता है .एहम बात है आप खातें क्या हैं ?
सुबह उठकर गुनगुना पानी पीजिये .कभी कभार इसमें अदरक का सत अदरक का रस मिला सकतें हैं ।
फायदा पहुंचाता है यह अवसाद रोधी है ।
कार्य स्थल पर जहां तक हो चाय ,कोफी ,जंक फूड्स से बचिए .नाहक यह दिमागी उत्तेजन पैदा करतें हैं ।
इनके स्थान पर नट्स ,दलिया ,लेमोनेड ,ब्लेक पेपर ,लेमन ग्रास आपको खाने में ज़रूरी हेपी हारमोंस मुहैया कर्वायेंगें .आपके परेशान दिलो -दिमाग को राहत देंगें .सबसे ज्यादा ज़रूरी है -खाने का नियमित वक्त तय करना .कोई समझौता नहीं इससे .आप क्या खातें हैं जितना ही ज़रूरी है आप कब खातें हैं ,वक्त पर या वक्त बे -वक्त कभी भी?
सन्दर्भ -सामिग्री :-देट राइजिंग फीलिंग ,दी "की" टू यूओर डार्केस्ट मूमेन्ट्स ऑफ़ डिप्रेशन मे लाइ इन सिम्पिल ,फोकस्ड ब्रीदिंग .हेयर इज हाओ.(हेल्थ टिप्स /कोलम "यु"/मुंबई मिरर ,जुलाई २४ ,२०१० ,पृष्ठ ३२ )
सोमवार, 26 जुलाई 2010
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