गुरुवार, 29 जुलाई 2010

दिमाग के उद्भव और विकाश में गर्दन का बड़ा योगदान रहा है

इन दी नेक़ आफ टाइम ,साइंटिस्ट्स अन- रैवल अनादर की इवोल्यूशनरी ट्रेट देट लीड टू बेटर ब्रेन पावर ,इट्स दी नेक़ .दी इवोल्यूशन ऑफ़ दी नेक़ लैट बर्ड्स डेवलप फ्लाईट एंड लेट्स अस ह्युमेंस डू अमेजिंग थिंग्स विद अवर हेंड्स (एस सी आई -टी ई सी एच (साईं -टैक )/मुंबई मिरर जुलाई २९ ,२०१० ,पृष्ठ २४ ।
मनुष्यों और मतस्यों (मछलियों में ) आनुवंशिक विरासत के कूट संकेतों को बूझ समझ कर ,जीवन -इकाइयों में छिपे लेखे को पढ़ समझकर साइंसदानों ,आनुवंशिकी के माहिरों ने ,पता लगाया है आदमी की गर्दन( धड को सिर से जोड़ने वाला अंग )ने आदमी को गति करने की इतनी आज़ादी बख्शी,कालानुक्रम में ,आखिरकार यही छोटी सी गर्दन जो आपके हेड और शोल्डर्स को जोड़े रहती है ,दिमागी विकाश की वजह बन गई .नेचर कम्युनिकेशन में इस अध्धय्यन के नतीजे प्रकाशित हुएँ हैं ।
साइंसदान यह मानते आयें हैं ,मछलियों में "पेक्टोरल फिन्स "और मनुष्यों में "फोर्लिम्ब्स "आर्म्स एंड हैंड्स का विकाश यकसां न्युरोंस (नर्व सेल्स ,दिमागी कोशाओं )से ही हुआ है ..बोथ रिसीव्द नर्व्ज़(इन्नेर्वतिद,इनर -वेटिद )फ्रॉम दी सेम न्युरोंस .यही वजह है आज दोनों ही , आदमियों में आर्म्स (बाजू )और मतस्यों में फिन्स शरीर की एक ही जगह पर दिखलाई देतें हैं .विकसित हुएँ हैं एक ही जगह पर .लेकिन यह आभासी है .वास्तव में ऐसा है नहीं । संक्रमण के उस दौर में जब हमारे पूर्वज फिश से छिटक कर स्थल वासी बने ,न्युरोंस का उद्गम स्थल (दी सोर्स फॉर न्युरोंस )जो सीधे सीधे हमारी बाजुओं का संचालन करता था ,वह हमारे दिमाग से खिसक कर रीढ़ रज्जू (मेरु -रज्जू ,स्पाइनल कोर्ड )में चला आया .इसी के साथ हमारा धड छिटक कर सिर से अलग हुआ अलबत्ता इस पर एक गर्दन उग आई ।
इसका मतलब यह हुआ ,आदमी की बाजू चमगादड़ों और पक्षियों के विंग्स की मानिंद सिर से अलग होकर धड से और गर्दन के नीचे आ चस्पा हो गईं ।
गति संचालन और कौशल इसी गर्दन ने स्थल वासियों (भौमिक )और वायु -वासियों के परिवेश को मुहैया करवाया ।
कोर्नेल प्रोफ़ेसर(न्यूरो -बायलोजी एंड बिहेविअर विभाग से सम्बद्ध ) एवं अध्धय्यन के मुखिया अन्द्रेव ब्रास ऐसा ही अभिमत रखतें हैं ।
यह उद्भव और विकाश एक कदम ताल बनाए रहा जैव -यांत्रिक और उस वैकाशिक क्रम में जो हमारे स्नायुविक तंत्र (नर्वस सिस्टम )में कालान्तर में देखने को मिला औरकालानुक्रम में
हमारे लिम्ब्स का संचालन इसी नर्वस सिस्टम के हाथों संपन्न होने लगा .
इन्हीं हाथों का करिश्मा तो देखिये एक छोर पर यह पक्षियों को परवाज़ देतें हैं दूसरे पर मनुष्यों को विवध वाद्य
यंत्र बजाने की निपुणता .पियानो के साथ अठखेलियाँ करने का कौशल .

कोई टिप्पणी नहीं: