मैमथ (आकार में हाथी जैसा ही दीर्घकाय स्तनपाई जीवउत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र जिसका प्राकृतिक आवास था )का सफाया किया था अर्वाचीन शिकारियों ने बस इसी के साथ गर्माना हो गया था उत्तरी ध्रुवीय इलाका ।
प्राक -इतिहासिक -जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी एक अध्धय्यन के मुताबिक़ पृथ्वी के धुर उत्तरी अक्षांशों को गर्माने के बीज उन प्रागैतिहासिक शिकारियों ने ही बो दिए थे जो घात लगाकर इस जीव का शिकार करते थे ।
इन तमाम दीर्घ -काया स्तन पाई मेमल्स के सफाए के साथ ही उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र बौनी प्रजाति के बिर्च वृक्षों से घिर गया .रिफ्लेक -टिव सर्फेस ,एब्ज़ोर्प्तिव (प्रकाश को अधिकाधिक ज़ज्ब करने वाले गहरे कलौंच- मय,डार्क सर्फेस ) इलाकेमें तब्दील हो गया .क्योंकि मैमथ इन वृक्षों की पत्तियाँ चबाकर ही अपनी गुजर बसर करते थे .मानव निर्मित इस प्राकृतिक असंतुलन ने ही इस इलाके के गरमाने की बुनियाद रखी।
पहले यह तमाम इलाकाहिम की धवल चादर ओढ़े प्रकाश की ज्यादा मात्रा अन्तरिक्ष में लौटा देता था .आइस और स्नो आच्छादित क्षेत्र प्रकाश का अच्छा परावर्तक बनता था .अब गहरे श्याम बौने वन आच्छादित क्षेत्र से लौटने वालेआपतित सौर -विकिरण का अंश एक दम से घट गया .इसका प्रभाव एल्बीदो पर पड़ना ही था (फ्रेक्सन ऑफ़ इंसिडेंटलाईट रिटर्निंग फ्रॉम ए सर्फेस इज काल्ड इट्स एलबीदो).गर्माहट यहीं से शुरू हुई .एक सेल्फ रीपीटिंग वार्मिंग साइकिल की शुरुआत हुई ।
ये तमाम अन्वेषण "जिओ -फिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में शीघ्र प्रकाशय हैं .ज़ाहिर है प्रागैतिहासिक हंटिंग इस गर्मी की बड़ी वजह पहले बनी जीव -अवशेषी ईंधनों का चलन बाद के बरसों में आरम्भ हुआ .खेती किसानी का दौर भी इसके बाद ही आया .गर्माहट की वजह फार्मिंग बनी ज़रूर लेकिन बुनियाद मैमथ हन्टर्स रख चुके थे ।
कार्नेगी इन्स्तित्युसन फॉर साइंस के ग्लोबल इकोलोजी विभाग के क्रिस फील्ड (को -ऑथर ऑफ़ दी स्टडी )तथा संस्थान के निदेशक मानवीय दखल को विधाई वजह बतलातें हैं ,उत्तरी ध्रुव के गिर्द पैदा होने वाली और आवधिक रूप से बढ़ने वाली गर्माहट की ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-"मैमथ हन्टर्स ट्रीगार्ड वार्मिंग (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जुलाई १६ ,२०१० )
सोमवार, 19 जुलाई 2010
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