क्या आप जानतें हैं कुतरकर चीज़ें खाने वाले प्राणी (रोदेंट्स)कुल स्तनपाई जीवों का ४० फीसद हिस्सा घेरे हुएँ हैं .हमारे पारितंत्र (इको सिस्टम )पर्यावरण -पारिस्थितिकी ,हमारी मिटटी की गुणवत्ता बनाए रखने ,बीजों को यत्र तत्र सर्वत्र बिखेरने छितराने बौने में कुतरने वाले जीवों की एहम भूमिका है .व्हेल और पक्षी प्रजातियों के संग इसीलिए इनका संरक्षण भी उतना ही ज़रूरी है ।
कृन्तकों के उद्भव और विकाश में इंडोनेशिया एक विधाई भूमिका में रहा आया है .पूरबी तिमूर की गुफाओं में पुरातात्विक विज्ञान के माहिरों ने लघु स्वान (छोटे आकार के कुत्ते) के पूरे अश्थी -पिंजर (स्कल)के अवशेष ढूंढ निकाले हैं खुदाई में .इनका वजन ६ किलोग्रेम तक पाया गया है .अब तक कुल १३ प्रजातियों के अवशेष मिलें हैं .जिनमे से ११ साइंसदानों के लिए भी नै हैं .इनमे से ८ प्रजातियों के चूहों का वजन १किलोग्रेम या उससे भी ज्यादा रहा होगा ।
रेडिओ -कार्बन -डेटिंग प्रणाली से काल निर्धारण के बाद पता चला है अब से १००० -२००० साल पहले तक भी यह अपेक्षाकृत बड़ी कद काठी वाले चूहे जीवित थे .आज जबकि ले देकर लघुतर प्रजातियाँ ही बचीं हैं ।
तिमूर द्वीप पर तकरीबन ४०,००० ,सालों तक इन जीवों के शिकार पर ही लोग ज़िंदा थे .लेकिन चूहों का अस्तित्व इस पूरी अवधि में बना रहा है .एक सिम्बियोतिक लिविंग इंसानों और इन जीवों के बीच अब से १००० -२००० साल पहले तक भी देखी जा सकती थी ।
बड़े पैमाने पर इन जीवों के सफाए की वजह खेती किसानी के लिए जंगलात की कटाई बनी .यह धातु युग की शुरुआत थी .मेटल टूल्स प्रचलन में आगये थे .वरना द्वीप तो पहले भी आबाद थे इंसानों से .पूरबी इंडोनेशिया के द्वीपों में अलग अलग प्रजातियों के जीव पनपें हैं .,अपनी अलग खासियत के साथ ।
फ्लोरेस द्वीप पर भी चूहों की ६ प्रजातियाँ एक गुफा से मिलीं हैं .हो सकता है इनमे से कुछेक आज भी अपना अस्तित्व बनाए हुएँ हों .आदमी की इन पर नजर ही ना पड़ी हो ।
तिमूर में नेटिव मेमल्स तो गिनती के ही हैं .रोदेंट्स और चमगादड़ का ही यहाँ डेरा रहा आया है .यहाँ कभी बरसाती हरा भरा जंगल था .आज यहाँ एक दम से सूखा ,निर्जन ,वर्षाहीन क्षेत्र है .
लेदेकर यहाँ १५ फीसद से भी कम जंगलात बचें हैं ,लेकिन द्वीप का कुछ हिस्सा सघन वनों से ढका हुआ है ,हरियाली की चादर ओढ़े है ।
यहाँ कुछ भी छिपा हो सकता है ?
हाल ही में माहिरों को यहाँ (पूरबी तिमूर में )चूहों के ताज़े ताज़े अवशेष मिलें हैं .गुफाओं में ही पूर्व में इन्हें देखा गया था .प्रकृति अपना इंतजाम खुद करती है .हो सकता है यहीं कहीं चूहों की भी कुछ प्रजाति हों ,आदमी की नजर से बची खुची ।
अबतक केवल फिलिपाईन्स और न्यू गिनी के बरसाती वनों में ही लेदेकर दो किलोग्रेम भार के चूहे देखे गए थे .संदर्भित चूहों की खोज के बारे में "बुलेटिन ऑफ़ दी अमरीकन म्यूजियम ऑफ़ नेच्युँरल हिस्ट्री "में विस्तार के साथ छपा है .
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