इतालवी मूल का एक शब्द है "काफ्फेलात्ते "सी ए ऍफ़ ऍफ़ ई एल ए टी टी ई जिसका अर्थ है "कोफी -मिल्क "।
काफ्फेलात्ते कैसे तैयार की जाती है ?
झाग से भरे स्टीम्ड मिल्क में (कमसे कम एक कप या फिर एक ग्लास मात्रा में )बस चुटकी भर स्ट्रोंग कोफी मिलाइए -लत्ते तैयार ।
ईट इज ए वेरी स्ट्रोंग कोफी विद ए लोट ऑफ़ स्टीम्ड मिल्क इन ईट ।
लत्ते एक एस्प्रेसो कोफी ही है बस इसमें स्टीम्ड दूध का अंश अपेक्षाकृत ज्यादा और कोफी भी खासी तेज़ फ्लेवर लिए होती है ।
अब सवाल यह है आखिर यह लत्ते आर्ट क्या है ?
यह कोफी कप के अन्दर उकेरी गई कलाकृति ही है .झागों का सुरमई जादू है .बस यह मिल्क और एस्प्रेसो -शोट्स कप में डालते वक्त बना दी जाती है .डिज़ाईनर टच लिए होती है यह कलाकृति .मनमाफिक पेट्रन बना देता है लत्ते आर्टिस्ट कोफी कप में ।
यह माशुका के क्रीमी हार्ट सी भी दिख सकती है ,फूल पत्तियों की आकृति भी लिए हो सकती है .कार्टून करेक्टर्स भी उभर सकतें हैं कोफी के प्याले में .बस एक एस्प्रेसो मशीन और एक कुशल हाथ चाहिए .इतालवी मूल की कला है लत्ते आर्ट .
रविवार, 18 जुलाई 2010
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