शनिवार, 31 जुलाई 2010

केल्सियम पिल्स और हार्ट अटेक्स,फर्क है पश्चिम और पूरब में ?

स्टडी :केल्सियम पिल्स रेज़ रिस्क ऑफ़ हार्ट अटेक्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जुलाई ३१ ,२०१० ,पृष्ठ १४ )
डेडली डोज़ ?
तकरीबन १२,००० लोगों से सम्बद्ध जो सभी खुराखमें शामिल आदर्श मात्रा ,ओपटीमम -- केल्सियम के अलावा केल्सियम सम्पूरण भी ले रहे थे ,से ताल्लुक रखने वाले ११ रेंडम कंट्रोल्ड ट्रायल्स की पड़ताल के बाद न्यूज़ीलैंड के रिसर्चरों ने यह निष्कर्ष निकाला है ,इनमे हार्ट अटेक्स का ख़तरा ३० फीसद बढ़ गया था ।
भारतीय चिकित्सा विद अध्धय्यन के नतीजों को सिर्फ पश्चिमी खुराख के सन्दर्भ में ही प्रासंगिक मानतें हैं जहां खुराख में पहले से ही केल्सियम की ज़रूरी मात्रा ८.८-१०.८ मिलिग्रेम प्रति डेसीलिटर प्रति १०० मिलीलीटर रक्त में मौजूद रहती है .भारत में परिदृश्य इससे जुदा है .यहाँ शरीर में केल्सियम की कमी बेशी रहती है .अलबत्ता केल्सियम की शरीर में मात्रा आदर्श १०.८ एम् जी /डी एल से ज्यादा हो जाने पर ज़रूर, हाई -पर -केल्शियिमा का जोखिम पैदा हो जाता है जो हार्ट अटेक्स की वजह बन सकता है ।
इसलियें न्यू- ज़ीलैंड के अबेरदीन और औच्क्लैंड(औक -लैंड )विश्विद्यालयों के रिसर्चरों के अध्धय्यनों के रिव्यू के नतीजे भले उन रजोनिवृत्त महिलाओं और बुजुर्गों के लिए प्रासंगिक हों जो शरीर में ओप्तिमम केल्सियम के बावजूद केल्सियम सम्पूरण भकोसते रहें हैं ,भारतीयों पर यह लागू नहीं होंगें ।
बेशक हाई -पर -केल्सीयिमिया हार्ट - अटेक्स के अलावा स्ट्रोक्स और तद्जन्य मृत्यु के जोखिम को भी बढाता हो जैसा रिसर्चर कह रहें हैं .ब्रितानी मेडिकल जर्नल में इस अध्धय्यन विमर्श के नतीजे प्रकाशित हुएँ हैं ।
रिसर्चरों ने बतलाया है ,वह ऐसा मानते भी है ,केल्सियम सम्पूरण का सेवन रक्त में केल्सियम के स्तर को बढाता रहता है ऐसेमें धमनी रोगों का ख़तरा सहज ही बढ़ जाता है .यह नतीजे सभी उम्र के लोगों,औरतों और मर्दों पर समान रूप से लागू होतें हैं इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है वह कौन सा केल्सियम सम्पूरण लेते रहें हैं .
भारतीय सन्दर्भ में यह जान लेना भी मौजू है ,हरियाणा ,पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को यदि छोड़ दिया जाए तो शेष राज्यों के लोग डैरी-उत्पादों का स्तेमाल कम ही करते पाए जातें हैं जो केल्सियम का प्रमुख स्रोत हैं ।
जबकि यह भी सत्य है एक स्वस्थ वयस्क (बालिग़ या एडल्ट )की खुराख में ९०० मिलिग्रेम केल्सियम रहना चाहिए .जबकि भारतीय थाली ले देकर रोजाना ४०० मिलिगेर्म ही खुराखी केल्सियम ही मुहैया करवा पाती है .वह भी तब जब आप रोजाना दो ग्लास दूध लेते होंवें ,पनीर ,दही और चीज़ का भी सेवन करतें हों .वह भी सुबह औ शाम दोनों वक्त के भोजन में .इसलिए यदि आप ५०० मिलिग्रेम केल्सियम अपने डॉ के परामर्श पर ले रहें हैं रोज़ -बा -रोज़ तो बेशल लेतें रहें .यह कहना जल्दबाजी होगा ,इससे हार्ट अटक का जोखिम (३०) फीसद बढ़ जाता है ।

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