सून ,ए लेब -मेड कोर्निया टू ऑफर ए रे ऑफ़ होप (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जुलाई २६ ,२०१० )
प्रयोग शाला में इनदिनों चीनी साइंसदान मानवीय कोशिकाएं संवर्धित कर रहें हैं .यह कृत्रिम स्वच्छ मंडल (कोर्निया ,आँख का बाहरी पारदर्शी रक्षक आवरण या रक्षक कवच )बना लेने की दिशा में उठा पहला महत्वपूर्ण कदम है .उन पचास लाख लोगों के लिए यह आस की किरण है जो कोर्नियल ब्लाइंड -नेस से ग्रस्त हैं .इन्हें कोर्निया ट्रांसप्लांट की ज़रुरत है ।
कुछ भी देखने दृश्य अवलोकन में यही एक दम से नाज़ुक शील्ड (वल्नारेबिल शील्ड )विधाई भूमिका निभाती है .इसीलिए कोर्निया की चोट एक अति गंभीर मामला बन जाती है ।
बकौल चीनी साइंसदानों के ओशन विश्वविद्यालय,चीन के कोलिज ऑफ़ मेरीन साइंस की टीम आगामी तीन सालों में ना सिर्फ एक भरी पूरी कोर्निया तैयार कर लेगी ,इसके नैदानिक परीक्षण भी शुरू हो सकतें हैं .(आप जानतें हैं ,क्लिनिकल ट्रायल्स कई चरणों में संपन्न होतें हैं )।
एक कृत्रिम कोर्निया की कीमत १४७५ -२९५० डॉलर तक हो सकती है .लेकिन यह दान की गई कोर्निया का स्थान ले सकती है ।
इसे तैयार करने में ऊतक प्रोद्योगिकी (टिश्यु टेक्नोलोजी )के सहारे एंडो- थेलियम जैसे ही ऊतक तैयार कर लिए गएँ हैं .
कोर्निया को स्वच्छ मंडल (पारदर्शी )बनाए रखन में एंडोथेलियम का बड़ा हाथ होता है .कोशाओं की सबसे अंदरूनी तह या परत (लेयर )होती है एंडो -थेलियम ।
एंडो -थेलियम को बना पाना एक मुश्किल काम रहा है क्योंकि इसकी कोशायें पुनर -उत्पादित नहीं होतीं हैं .इसी लियें कृत्रिम स्वच्छ मंडल का अध्धय्यन ठीक से हो ही नहीं सका है ।
टीम ने इसका ही कल्टीवेशन करके दिखाया है बेशक इसके लिए ह्यूमेन एम्निओनकी सहायता ली गई है .विकाश्मान भ्रूण आप जानतें हैं इसी एम्नियोटिक सेक में सुरक्षित और आराम से रहता है .यह एक झिल्लीनुमा थैली होती है .जिसमे गर्भ जल भरा रहता है ।
अब विज्ञानी स्ट्रोमा के निर्माण में संलग्न हैं .कोर्निया की ९० फीसद मोटाई(थिकनेस इसी से है ) के लिए यही स्ट्रोमा जिम्मेवार रहता है .स्ट्रोमा एंडो -थेलियम और एपी -थेलियम के बीच एक सेतु का काम करता है .कोर्निया की सबसे बाहर वाली परत को ही एपी -थेलियम कहा जाता है .आँख में धूल-जीवाणु आदि के प्रवेश से यही परत बचाए रहती है .टीयर्स से ऑक्सीजन और सेल -न्यू -त्रियेंट्स ज़ज्ब करने का काम भी यही एपी -थेलियम करती है .
सोमवार, 26 जुलाई 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें