रविवार, 18 जुलाई 2010

पादपों के पास भी होता है एक स्नायुविक तंत्र ,,

पादपों के पास ना सिर्फ मनुष्यों की तरह एक स्नायुविक तंत्र भी होता है ,वह सोचते और प्रतिक्रया भी करतें हैं .माहिरों ने पता लगाया है ,पौधे प्रकाश में छिपे संकेतों का कूटांकन करतें हैं (सूचना को कूट संकेतों में रूपांतरित कर लेतें हैं ),प्रकाश की मात्रा (इंटेंसिटी,प्रकाश की तीव्रता )को पादप शरीर के एक हिस्से से दूसरे तक संप्रेषित कर देतें हैं .प्रकाश संकेतों में निहित सूचना याद भी रखतें हैं तथा सूचना के अनुरूप हमारे स्नायुविक तंत्र की तरह प्रतिक्रया भी करतें हैं ।
तमाम तरह के विद्युत् -रासायनिक संकेतों का वाहन पादप कोशायें बनतीं हैं जो पादप नर्व (न्युरोंस )की तरह काम करतीं हैं .सेल्स एक्ट एज करियर ऑफ़ इलेक्ट्रो -केमिकल सिग्नल्स .माहिरों ने जीव -विज्ञानों के वारसा विश्वविद्यालय ,पोलैंड में फ़्ल्युओरेसेन्स -इमेजिंग (प्रतिदिप्ती -प्रतिबिम्बन ) का स्तेमाल पादप रेस्पोंस दर्ज़ करने के लिए किया है .सिर्फ एक पत्ती को रोशन किया गया ,इरादीयेट किया गया ,लाईट वाज़ शोन ओन्तु जस्ट वन लीफ ,और पत्ता दर पत्ता खबर फ़ैल गई .समूचे पादप ने अनुक्रिया दर्शाई ।
यही अनुक्रिया अँधेरे में भी ज़ारी रही .प्रकाश प्रेरित रासायनिक प्रतिक्रया के रूप में थी यह अनुक्रिया (रेस्पोंस ).इसका मतलब एक दम से दो टूक है .पादप प्रकाश में छिपे संकटों को याद कर लेतें हैं .माहिरों ने पादप की जड़ के पास के हिस्से को ही आलोकित किया था लेकिन पादप के ऊपरी भागों तक परिवर्तन दृष्टिगोचर हुआ ।
यह एक प्रकार का कास्केड प्रभाव है प्रकाशने सिर्फ एक पादप कोशा में ट्रिगर के रूप में रासायनिक प्रतिक्रया को आरम्भ करवाया ,प्रेरित किया ,लेकिन यही रासायनिक क्रिया शेष अंगों तक फ़ैल गई .एक ख़ास कोशा "बंडल शीथसेल" ने यह काम अंजाम दिया .
माहिरों के अनुसार प्रकाश में निहित कूट संकेतों को बूझ कर पादपएक आरक्षी (बचावी ,संरक्षी,प्रोटेक्टिव केमिकल रिएक्शन )रासायनिक प्रतिक्रया को उत्प्रेरित कर विभिन्न पादप रोग कारकों (प्लांट पेथोजंस )के प्रति इम्युनिटी खड़ी कर सकतें हैं .रोग कारकों से एक बचावी रणनीति अपनाएक कवच बना सकतें हैं ।
विशेष कथन :आपको बतलादें एक भारतीय साइंसदान जगदीश चन्द्र वासु ने १९०१ में रोयल सोसायटी इंग्लैण्ड के सामने पेड़ पौधों के दिल की धड़कन मापने वाले बेहतरीन यंत्र क्रेसको -ग्रेफ का प्रदर्शन किया था .आपने ही बतलाया था .पौधों में जीवन है वह हमारी तरह सुख दुःख का अनुभव करतें हैं .संगीत के साथ थिरकते हैं .
सन्दर्भ -सामिग्री :-प्लांट्स टू हेव ए नर्वस सिस्टम ,कैन रिमेम्बर एंड रिएक्ट (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जुलाई १६ ,२०१० ,पृष्ठ २३ )

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