गुरुवार, 1 जुलाई 2010

नौ सालों से वह सी -सिकनेस भोग रही है ....

ए वीक लॉन्ग क्रूज़ लीव्ज़ ब्रिटिश वोमेन सी -सिक फॉर ए डिकेड (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जुलाई ०१ ,२०१० )।
सिर्फ एक हफ्ते का समुद्री सफ़र उसके लिए जी का जंजाल बना रहा है .वही यातना नाव का ऊपर नीचे झट कोले खाना उसे आज भी तंग किये है .वीक -लॉन्ग मेडी-तरेनियन क्रूज़ लगता है आज भी ज़ारी है .उसकेलिए सृष्टि की तरह फ़ैल रहा है यह सफ़र और उससे रिसती यातना ,सी -सिकनेस आज भी वह झेल्रही है .आखिर क्यों ऐसा हो रहा है ?
वास्तव में जानेहौघ्तों नाम की यह महिला एक बहुत बिरले रोग "मॉल दे देबर्कुमेंट सिंड्रोम " से ग्रस्त हो गई है .उसे लगता है रफ सी में उसकी नाव आजभी ऊपर नीचे तेज़ी से बोब कर रही है .हीच- कोले लेरही है ।
जून २००१ वह नाव पर सवार हो पाल्मा (स्पेन )गई थी .उसे आज भी लगता है वह जिम्नेतिक्स में प्रयुक्त "त्रम्पोलिने "पर चलरही है .ऊंची कूद ले रही है .किसी गद्दे पर उछल कूद रही है .मैट्रेस पर चल रही है .हौघ्तों इन दिनों वार्रिन्ग्तों ,चेशिरे में है ।
"मॉल दे देबर्कुमेंट "एक ऐसी स्थिति है जिसकी पहचान आधी अधूरी ही आदिनांक हो सकी है .अंडररिकाग -नाइज़्दरहा है यह सिंड्रोम (ग्रुप ऑफ़ सी सिकनेस ).लाइलाज रहा आया है .अक्सर महिलाओं को सदमे में ले आता है यह रोग .विक्षोभ और असहनीय यंत्रणा झेलने कोविवश रह जातीं हैं महिलायें वह भी प्राइम ऑफ़ यूथ में .क्यों ?सिर्फ अनुमेय है .

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